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संस्कृत छाया :
एष खलु पापकारी सुमङ्गलो नामा नभश्चरोऽऽसीत् । __साधित-बहुविधविद्यो विद्याधरनगरसुप्रसिद्धः ।।१८६।। गुजराती अर्थ :- विद्याधरनगरगां सुप्रसिद्ध, साधेली घणी विद्यावालो, तथा पापने आचरनारो। सुमंगल नामनो आ विद्याधर छ। हिन्दी अनुवाद :- विद्याधर क्षेत्र में सुप्रसिद्ध, जिसने बहुत सारी विद्याएं सिद्ध की हैं तथा पाप का आचरण करने वाला यह सुमंगल नाम का विद्याधर है। गाहा :
अह अन्नया कयाइवि भममाणो इच्छिएसु नयरेसु ।
एसा इत्थ पुरीए समागओ जोव्वणुम्मत्तो।।१८७।। संस्कृत छाया :
अथान्यदा कदाचिदपि भ्रमन् इच्छितेषु नगरेषु ।
एषोऽत्र पुर्यां समागतो यौवनोन्मत्तः।।१८७।। गुजराती अर्थ :- हवे एक वखत क्यारेक मनगमतां नगरोमां भमतो यौवन थी उन्मत्त थयेलो आ, नगरीमा अहीं आव्यो। हिन्दी अनुवाद :- अब एक बार यौवन के मद से उन्मत्त बना हुआ मनचाहे नगरों में घूमते-घूमते यह इस नगरी में आया। गाहा :
हम्मिय-तलमारूढा प्रहाणुत्तिन्ना हु वसुमई एसा ।
गयण-ट्ठिएण दिट्ठा इमेण सुइरं च निज्झाया ।।१८८।। संस्कृत छाया :
हर्म्यतलारूढा स्नानोत्तीणा खलु वसुमती एषा ।
गगनस्थितेन दृष्टा अनेन सुचिरं च निध्याता ।।१८८।। गुजराती अर्थ :- महेलनी छत उपर रहेली अने स्नानथी निवृत्त थयेली आ वसुमतीने गगनमा रहेला एणे जोई अने लांबा काळ सुधी एकीटसे नीरखी। हिन्दी अनुवाद :- और इधर वसुमती स्नान कर के तुरंत ही छत पर आयी तब गगन में स्थिर होकर इसने वसुमती को बहुत समय तक एक नजर से देखा! गाहा :
दर्दू इमीए रूवं खुहियं अह माणसं तु एयस्स । काउं धणवइ-रूवं अवयरिओ इत्थ गेहम्मि ।।१८९।।
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