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________________ हिन्दी अनुवाद :- दूसरे के घर में आकर विश्वासपूर्वक यह पुरुष जैसे सो रहा है, निश्चित ही यहीं कुछ कारण होना चाहिए! गाहा : जइ एस अन्न-पुरिसो दइओ वा तहवि इण्हि मह जुत्तं । निय-सासुयाए सिग्धं जहट्ठियं चेव साहेउं ।।१५७।। संस्कृत छाया : यद्येषोऽन्यपुरुषो दयितो वा तथापीदानीं मे युक्तम | निज श्वशुं शीघ्रं यथास्थितमेव कथयितुम् ।।१५७।। गुजराती अर्थ :- जो आ अन्य पुरुष होय के मारा पति होय तो पण अत्यारे मारे जल्दीथी मारी सासुमाने जेवु छे तेवु कहेवू योग्य छ। हिन्दी अनुवाद :- यदि यह अन्य पुरुष हो या मेरा पति हो जो कुछ भी हो किन्तु अभी तो शीघ्र ही मुझे सासूमा को वस्तुस्थिति का ज्ञान कराने योग्य है। गाहा :- वसुमतीद्वारा सासूजीने समाचार जइ पुण एयं न कहेमिं कहवि निय-सासुयाए वुत्तंतं। __ आजम्मंपि कलंक सुदूसहं होइ ता मज्झ ।।१५८।। संस्कृत छाया :__ यदि पुनरेतं न कथयामि कथमपि निजस्ववै वृत्तान्तम् । आजन्मापि कलङ्क सुदुस्सहं भवति तर्हि मे।।१५८|| गुजराती अर्थ :- वळी जो केमे करीने सासुमा ने आ हकीकत जणायूँ तो मारा माथे आजीवन अतिदुस्सह कलंक रहेशे।। हिन्दी अनुवाद :- और यदि मैं यह हकीकत सासूजी को विदित न करूं तो मेरे ऊपर आजीवन अतिदुस्सह कलंक रहेगा। गाहा : एवं विचिंतिऊणं उत्तरिया हम्मियाओ सा बाला । पत्ता य सासुयाए सुदंसणाए समीवम्मि ।।१५९।। संस्कृत छाया : एवं विचिन्त्य, उत्तीर्णा हात् सा बाला। प्राप्ता च श्वश्वाः सुदर्शनायाः समीपे ।।१५९।। गुजराती अर्थ :- आ प्रमाणे निश्चय कटीने ते बाला छत परथी नीचे उती अने सुदर्शना सासुनी पासे आवी।। हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार निर्णय कर के वह बाला छत पर से नीचे उतरी और सुदर्शना सासू के पास आयी। 369 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.525065
Book TitleSramana 2008 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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