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________________ गुजराती अर्थ :- ते हरणी जेवी आंखवाली विचारे छे ते मारा पोताना नाथ क्यां गया? वली दुःखे थी प्रवेश की शकाय एवा आ घरवां आ पुरुष केवी रीते प्रवेश्यो? हिन्दी अनुवाद :- वह मृगनयना सोचती है - कि मेरे नाथ कहां गये? एवं दुष्पविष्ट ऐसे घर में यह पुरुष कैसे आया? गाहा : किंवा सो मण-दइओ हविज्ज निहओ इमेण पावेण । सोच्चिय दइओ अन्नो पडिहासइ किं विवज्जासा? ।।१५४।। . संस्कृत छाया : किं वा स मनोदयितो भवेद् निहतोऽनेन पापेन । स एव दयितोऽन्यः प्रतिभासते किं विपर्यासात्? ।।१५४।। गुजराती अर्थ :- अथवा तो शं? आ पापीए मनोवल्लभ ने मारी नांख्यो? के कोई विपरीतपणा थी ते ज प्रियतम अन्य लागे छे? हिन्दी अनुवाद :- अथवा इस पापी ने मेरे मनोवल्लभ पतिदेव को मार डाला क्या? या तो कुछ मतिभ्रम से प्रियतम ही अन्य लगता है? गाहा : अहवा न होह एसो मह दइओ ताव निच्छओ एस । एस अउव्वो कोवि हु दीसइ दिव्वाणुकारित्ति ।। १५५।। संस्कृत छाया : अथवा न भवति एषो मे दयितस्तावद् निश्चय एषः । एषोऽपूर्वः कोऽपि खलु दृश्यते दिव्यानुकारीति ||१५५।। गुजराती अर्थ :- अथवा निश्चे आ मारो पति नथी-, आ कोईक अपूर्व दिव्य शक्तिनुं अनुकरण करनारो लागे छे! हिन्दी अनुवाद :- अथवा निश्चित ही यह मेरा पति नहीं है, यह कोई अपूर्व दिव्य शक्ति का अनुकरण करने वाला लगता है। गाहा : तह सुवइ सुवीसत्थो पविसित्ता पर-गिहम्मि जं एसो। तं नृणं भवियव्वं केणावि हु कारणेणित्थ ।।१५६।। संस्कृत छाया : तथा स्वपिति सुविश्वस्तः प्रविश्य परगृहे यदेषः। तद् नूनं भवितव्यं केनापि खलु कारणेनात्र ।।१५६|| गुजराती अर्थ :- पारकाना घरमा प्रवेशी ने विश्वासपूर्वक आ पुरुष जे रीते सूतो छे, तेथी निश्चे अहीं कोई कारण होवु जोइट। 368 Jain Education International nal For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525065
Book TitleSramana 2008 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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