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हिन्दी अनुवाद :- ऐसा सोचकर मैंने उसके द्वारा पूर्व में समर्पित मुद्रायुक्त (अंगुठी युक्त) मैने अपना हाथ उस बाला को दिखाया !
गाहा :
कन्ने होउं तीए आसन्न सहीय साहियं एयं । अवनिद्दएण दुक्खड़ सीसं किर कणगमालाए ।। ८३ ।। संस्कृत छाया :
कर्णे भूत्वा तयाऽऽसन्न सख्यै कथितमेतद् । अपनिद्रकेण दुःखयति शीर्षं किल कनकमालायाः ।। ८३ ।।
गुजराती अर्थ :- तेणीए कान पासे जईने सखी ने आ प्रमाणे कहयुं - के
निद्राना अभाव थी कनकमालानुं माथु दुःखे छे ।
हिन्दी अनुवाद :- तब उसने सखी के पास जाकर कान में कहा- नींद नही होने से कनकमाला को सिर में दर्द होता है ।
गाहा :
ता एसा खणमेगं असोग- वणियाइ सुवइ लग्गत्ति । तुम्हे एत्थ ठियाओ जहा सुहं चेव अच्छाह ।। ८४ ।। संस्कृत छाया :
तस्मादेषा क्षणमेकमशोकवनिकायां स्वपिति अघटमानमिति ।
यूयमत्र स्थिता यथासुखं एवाऽऽद्ध्वम् ।। ८४ ।। गुजराती अर्थ :- तेथी क्षण एक अशोकवाटिकामां जइने आ सुभे छे आ खरेखर खोटु थयुं छे। तमे सुखपूर्वक अहीं ज बेसो । हिन्दी अनुवाद :- अतः एक क्षण अशोकवाटिका में जाकर वह सोती है। यह अच्छा नहीं हुआ, इसलिए आप यहीं पर सुखपूर्वक बैठें !
गाहा :
वत्ते पुण पेक्खण जाणाविज्जाउ अम्ह सिग्घंति ।
एवं भणिउं तीए उट्ठविओ चित्तवेग! अहं ।। ८५ ।। संस्कृत छाया :
वृत्तेः पुनः प्रेक्षणके ज्ञाप्यता- मस्माकं शीघ्रमिति ।
एवं भणित्वा तया उत्थापितश्चित्रवेग ! अहम् ||८५||
गुजराती अर्थ :- हे चित्रवेग ! वळी आ नाटारंभ पूर्ण थये जल्दीथी अमने समाचार आपजो । आ प्रमाणे कहीने तेणीए मने उठाइयो ।
हिन्दी अनुवाद :- हे! चित्रवेग! नाटारंभ पूर्ण होते ही शीघ्र ही हमको समाचार देना, इस प्रकार कहकर उसने मुझे वहाँ से उठाया ।
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