SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 175
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी अनुवाद :- तेरी प्राप्ति का उपाय भी इसी ने मुझे बताया और इसी की सहायता से हम दोनों की इच्छित सिद्धि होगी। गाहा : कन्ना-सहाव-सुलहं उज्झित्ता सज्झसं सुयणु! तम्हा। निय-नेवत्थं सव्वं झत्ति समप्येसु एयस्स।।३७।। संस्कृत छाया : कन्या-स्वभाव-सुलभमुज्झित्वा साध्वसं सुतनो! तस्मात् । निजनेपथ्यं सर्वं झटिति समर्पय एतस्मै।।३७।। गुजराती अर्थ :- आथी हे! सुंदरांगी! कन्या ना स्वभाव सुलभ भय छोडीने तारा पोताना सर्व वस्त्र-अलंकार जल्दी थी आने आपी दे। हिन्दी अनुवाद :- अत: हे सुतनो! कन्या के स्वभाव सुलभ भय छोड़कर तू अपने सभी वस्त्र-अलंकार इसे जल्दी से अर्पित कर दो। गाहा : काऊण तुज्झ रूवं जेण इमो सुयणु! वच्चए बाहिं । परियण-विमोहणट्ठा पर-कज्ज-समुज्जओ धीरो ।।३८।। संस्कृत छाया : कृत्वा तव रूपं येनायं सुतनो! व्रजेद बहिः । परिजन-विमोहनार्थं परकार्य-समुद्यतो धीरः ।।३८।। गुजराती अर्थ :- हे सुंदरी! जेथी परोपकारमा तत्पर, धैर्यवान आ मारो मित्र सेवकजनने विमोहित (भ्रमित) करवा माटे तास रूप करीनें बहार जाय। हिन्दी अनुवाद :- जिससे कि हे सुन्दरी! परकार्य में तत्पर एवं धीर यह महापुरुष तेरे परिजन को मोहित या भ्रमित करने के लिए तुम्हारा रूप धारण करके बाहर जाय। गाहा : एवं च मए भणिया सहरिस-हियया करेइ तं सव्वं । अह दोवि निलुक्काइं पुणरवि मयणस्स पट्ठीए ।।३९।। संस्कृत छाया : एवं च मया भणिता सहर्ष-हृदया करोति तत्सर्वम् । अथ द्वावपि निलीनौ पुनरपि मदनस्य पृष्ठे ||३९।। गुजराती अर्थ :- आ प्रमाणे मारा कहेवाथी हर्षसहित सर्व कर्यु अने वळी अमे बन्ने कामदेवनी पाछल छुपाई गया। 332 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.525065
Book TitleSramana 2008 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy