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गुजराती अर्थ तुं पण गाढ प्रेम थी कंठ ने ग्रहण कर तारा उपर बहु उत्कंठित थयो छं. आ प्रमाणे (सांभलीने) कहेवायेली बाला लज्जा थी अधो मुखबाळी थई ।
हिन्दी अनुवाद :- तुझ पर अति उत्कण्ठित हुआ हूँ, तूं भी गाढ़ प्रेम से कण्ठ को ग्रहण कर, इस प्रकार कही गई बाला लज्जा से अधोमुखी हो गई !
गाहा :
चित्तगईवि य ताहे समागओ तम्मि चेव ठाणम्मि | तत्तो य मए भणियं वर- मित्तो एस मह सुयणु ! ।। ३४ । । संस्कृत छाया :
चित्रगतिरपि च तदा समागतस्तस्मिन्नैव स्थाने ।
ततश्च मया भणितं वरमित्रमेतद् मे सुतनो ! ।। ३४ । ।
गुजराती अर्थ :- चित्रगति पण त्यारे ते ज स्थाने आव्यो, व्यारे में कहयुं, हे सुतनो ! आ मारो परम मित्र छे ।
हिन्दी अनुवाद :- तभी चित्रगति भी उस स्थान पर आया, तब मैंने यह मेरा परम मित्र है । '
कहा
गाहा :
:
संस्कृत छाया :
तुज्झ विओए सुंदरि ! अप्प- - वहे उज्जओ अहमिमेण । विणिवारिओ अकारण- वच्छल्ल-जुएण धीरेण ।। ३५ ।।
गाहा :
तव वियोगे सुन्दरि ! आत्मवधे उद्यतोऽहमनेन । विनिवारितोऽकारणवात्सल्ययुक्तेन धीरेण ||३५||
गुजराती अर्थ :- हे सुन्दरि ! तारा वियोगमां आत्मवध माटे उद्यमी थयेलो हुं, निष्कारण वत्सल, धीर एवा आ पुरुष वड़े रोकायो । हिन्दी अनुवाद :- हे सुन्दरी ! तेरे वियोग से आत्मवध के लिए उद्यमी हुए निष्कारण वत्सल-धीर ऐसे इस पुरुष ने मुझे बचाया है।
तुह पावणे उवाओ एसो मह साहिओ इमेणेव ।
एएण सहाएणं सिज्झिस्सइ इच्छियं अम्ह ||३६|| संस्कृत छाया :
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'हे सुतनु !
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तव प्रापण उपाय एष मम कथितोऽनेनैव ।
एनेन सहायेन सेत्स्यति इच्छि तंवाम् ।। ३६ ।।
गुजराती अर्थ :- तने मेळववानो उपाय पण आणे ज मने कहयो, अने ए सहायकर्ताथी ज आपणा बन्ने नी मनोकामना सिद्ध थशे ।
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