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बद्धो निउत्तरीएण पासओ ताहि सा पुणो भणइ।
एसा मरामि संपइ कुसुमाउह! तुज्झ पुरओ हं ।। २२।। संस्कृत छाया :
भोः! सुप्रतिष्ठ! एवं भणित्वा तदा कनकमालया। विगलत् - स्थूलाश्रुप्रवाह-संसिक्तस्तनया ||२०|| नानाविधरत्नविनिर्मिते प्रसरद्-विमलकिरणे । गर्भगृहद्वार-निहिते रम्येऽथ, तोरणे तया ।।२१।। बद्धो निजोत्तरीयेण पाशकस्तदा सा पुनर्भणति। एषा म्रिये सम्प्रति कुसुमायुध! तव पुरतोऽहम् ।।२२।।तिसृभिः कुलकम् गुजराती अर्थ :- आ प्रमाणे कहीने हे सुप्रतिष्ठ! त्यारे पडता मोटा-मोटा अश्रुना प्रवाह थी भिजायेला स्तनवाळी ते कनकमालाए विविध प्रकार ना रत्नो थी बनावेल, फेलाता निर्मल किरणवाळा, गर्भगृह ना द्वारमा रहेल मनोहर तोरण मां पोताना ओढवाना दुपट्टा द्वारा पाश बांध्यो, वळी आ प्रमाणे बोलवा लागी हे! कामदेव! हमणा हुं आपनी पासे प्राणत्याग करु छु। हिन्दी अनुवाद :- हे सुप्रतिष्ठ! ऐसा कहकर तब गिरते हुए अश्रु की प्रवाह से प्लावित स्तनवाली कनकमाला ने विविध प्रकार के रत्नों से रचित, देदीप्यमान निर्मल कान्तिवाले गर्भगृह के द्वार में रहे मनोहर तोरण में अपने उत्तरीय (आंचल) द्वारा पाश बांधा और इस प्रकार बोलने लगी - हे कामदेव! अभी मैं आपके चरणों में प्राणत्याग करती हूँ।
गाहा :
मा मह भणिज्ज कोवि हु विहियमजुत्तंति कणगमालाए ।
एत्तियमित्तं कालं विमालियं जेण आसाए ।।२३।। संस्कृत छाया :
मा महयं भणतु कोऽपि खलु विहितमयुक्तमिति कनकमालया।
एतावन्मानं कालं विगलितं येनाऽऽशया।।२३।। गुजराती अर्थ :- कनकमालाए आ बहु अजुगतु कर्यु एवो मने कोई ठपको न आपे ते कारण थी में आशावड़े ज आटलो समय पसार कर्यों! हिन्दी अनुवाद :- कनकमाला ने अयुक्त कार्य किया है, ऐसा कोई न कहे इसी कारण से मैंने इस आशा में इतना समय व्यतीत किया है।
गाहा:
इण्हि पुण न हु सक्का काउं भंगं तु निय-पइन्नाए । तं मोत्तुं हियय-दइयं न लग्गए मह करे अन्नो।। २४।।
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