________________
१४५
८६.
८५. अष्टकप्रकरणम् - (ग्रं०मा०सं० १०२) (I.S.B.N. 81-86715-42-8);
अनुवादक- डॉ. अशोक कुमार सिंह; प्रथम संस्करण - २०००; आकार - डिमाई; पृ० ६+४५+१३८; मूल्य : रु० - २००.००। जीवसमास - (ग्रं०मा०सं०९९) (I.S.B.N.81-86715-42-8); अनुवादिका - साध्वी विद्युतप्रभाश्री; प्रथम संस्करण - १९९८; आकार - डिमाई, पृष्ठ -
४१+२४४; मूल्य : रु० - १६०.००। ८७. कौमुदीमित्रानन्दरूपकम् - (ग्रं०मा०सं० १११), (I.S.B.N. 81-86715
34-7); अनुवादक-डॉ० श्यामनन्द मिश्र; आकार: डिमाई;पृ०६+४२+१९९;
मूल्यः रु० - १२५.००। ८८. तीर्थंकर महावीर और उनके दशधर्म - (ग्रं०मा०सं० १२१) (I.S.B.N.81
86715-45-2); लेखक - प्रो० भागचन्द्र जैन भास्कर, प्रथम संस्करण - १९९९, पृ० ९+१३६, मूल्य : ८०.००। न्याय-रत्नसार - रचयिता - आचार्यप्रवर घासीलाल जी; प्रथम संस्करण -
१९८९, आकार : डबल क्राउन; मूल्य : रु० - २००.००। ९०. नानार्थोदयसागर कोष - रचयिता - आचार्यप्रवर घासीलालजी; प्रथम
संस्करण- १९८८; आकार : डबल क्राउन; मूल्य : रु० - २००.००। ९१. प्राकृत चिन्तामणि - रचयिता - आचार्यप्रवर घासीलाल जी; प्रथम संस्करण
- १९८७, आकार - डबल क्राउन; मूल्य : रु० - १००.००। ९२. प्राकृत कौमुदी - रचयिता - आचार्यप्रवर घासीलालाजी; प्रथम संस्करण -
१९८८, आकार : डबल क्राउन; मूल्य : रु० -२००.००। ९३. जिनवाणी के मोती - (ग्रं०मा०सं० १२९) (I.S.B.N. 81-86715-53-3);
अनुवादक एवं संग्रहकर्ता - दुलीचन्द जैन; द्वितीय संस्करण २०००; पृष्ठ - ३०४,
मूल्य : रु० - ४००.००। ९४. भारतीय संस्कृति में जैनधर्मका अवदान-(ग्रं०मा०सं०१२३),(I.S.B.N.
81-86715-47-9); लेखक - डॉ० भागचन्द्र जैन भास्कर; प्रथम संस्करण -
१९९९, पृष्ठ - ६+९२; मूल्य : रु० - ८०.००। ९५. वसुनन्दि श्रावकाचार - सम्पादक - डॉ० भागचन्द्र जैन, मूल्य - १५०। ९६. तपागच्छ का इतिहास, ( भाग-१, खण्ड-१) - (ग्रं०मा०सं० - १३४,
ISBN-81-86715-60-6),लेखक - डॉ० शिवप्रसाद, प्रथम संस्करण २०००, पृ० १०+३२८, आकार - डिमाई; मूल्य - ५००.००।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org