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३२. स्याद्वाद और सप्तभंगीनय (आधुनिक व्याख्या) - (ग्रं०मा०सं०४७
(अ)) लेखक : डॉ० भिखारीराम यादव; प्रथम संस्करण; पृ० : ४४+२३०;
मूल्य : रु०- १४०.००; आकार : डिमाई; १९८९। ३३. सम्बोधसप्ततिका (संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद एवं पाद-टिप्पणी सहित)
- (ग्रं०मा०सं० १७), अनुवादक : डॉ. रविशंकर मिश्र; प्रथम संस्करण; पृ०
: ४६, मूल्य : रु० - २०.००; आकार : डिमाई; १९८६। ३४. प्राचीन जैन साहित्य में आर्थिक जीवन - (ग्रं०मा०सं० ४६), लेखिका :
डॉ० (श्रीमती) कमल जैन; प्रथम - संस्करण; पृ० १२+२१२; मूल्य : रु० -
१२०.००; आकार : डिमाई; १९८८। ३५. चार तीर्थंकर - (ग्रं.मा.सं. ४९), लेखक : पं० सुखलाल संघवी; द्वितीय ___ (पुनर्मुद्रित) संस्करण; पृष्ठ : ६+१४९; मूल्यःरु०-६०.००; आकार : डिमाई;
१९८९। ३६. अनेकान्तवाद, स्याद्वाद और सप्तभंगी : सिद्धान्त और व्यवहार -
(i०मा०सं०५२), लेखक : प्रो० सागरमल जैन; प्रथम संस्करण; पृष्ठ ४३;
मूल्य : रु० ३०.००, आकार : डिमाई; १९९९। ३७. नम्मयासुन्दरीकहा (हिन्दी अनुवाद सहित)- सम्पादक : डॉ० के०आर० चन्द्र;
अनुवादक : डॉ० रमणीक भाई एम० शाह एवं पं० रूपेन्द्र कुमार पगारिया; प्रथम संस्करण; पृ० १४+१३२+१४०; मूल्य : रु० - १५०.००; आकार डिमाई;
१९८९। ३८. जैनधर्म की प्रमुख साध्वियाँ एवं महिलाएँ - (ग्रं०मा०सं०५७), लेखिका
: डॉ० (श्रीमती) हीराबाई बोरदिया; प्रथम संस्करण; पृष्ठ : १६+४८+३२०;
मूल्य: रु० - ३००.००; आकार : डिमाई; १९९१। ३९. जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन - (ग्रं०मा०सं०५६), लेखक : डॉ०
शिवप्रसाद; प्रथम संस्करण; पृ०:२८+३३६; मूल्यः रु० -३००.००; आकारः
डिमाई; १९९१। ४०. मध्यकालीन राजस्थान में जैन धर्म - (ग्रं०मा०सं०६१), लेखिका : डॉ०
(श्रीमती) राजेश जैन; प्रथम संस्करण; पृ० २+४९०; मूल्य : रु० - ३५०.००;
आकार : डिमाई; १९९२। ४१. मानव जीवन और उसके मूल्य - (ग्रं०मा०सं०५४), लेखक : श्री जगदीश
सहाय श्रीवास्तव; प्रथम संस्करण; पृष्ठ १०+१११; मूल्य : रु० - ६०.००; आकार : डिमाई; १९९०
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