________________
२१.
१३९ २०. जैन दर्शन में आत्म विचार - (ग्रं०मा०सं० ३१), लेखक : डॉ० लालचन्द
जैन; प्रथम संस्करण : पृष्ठ ८+३१८+४; मूल्यःरु०-१००.००; आकार: डिमाई; १९८४। जैनाचार्यों का अलंकारशास्त्र में योगदान - (ग्रं०मा०सं० ३२), लेखक : डॉ० कमलेश कुमार जैन; प्रथम संस्करण: पृ० १८+३५६; मूल्य : रु०
१००.०० आकार: डिमाई; १९८४। २२. खजुराहो के जैन मन्दिरों की मूर्तिकला- (ग्रं०मा०सं० ३३),लेखक : डॉ०
रत्नेश कुमार वर्मा, प्रथम संस्करण; पृ०१४+८१; मूल्यः रु०-६०.००; आकार:
डिमाई; १९८४। २३. वज्जालग्गं (जयवल्लभकृत)- (ग्रं०मा०सं०३४), सम्पादक एवं हिन्दी
अनुवादक : पं० विश्वनाथ पाठक; प्रथम संस्करण; पृष्ठ १५+५२+५१३; मूल्य:
रु०- १६०.०० आकार : डिमाई; १९८४। २४. धर्म का मर्म - (ग्रं०मा०सं० ३६), लेखक : प्रो० सागरमल जैन; द्वितीय
संस्करण; पृष्ठ ७+५१; मूल्य : रु० - ४०.००; आकार : डबल क्राउन; १९८४। २५. जैन और बौद्ध भिक्षुणी संघ-(ग्रं०मा०सं० ३५),लेखक : डॉ० अरुण प्रताप
सिंह; प्रथम संस्करण; पृष्ठ १२+२६१; मूल्य : रु० .१४०.००; आकार: डिमाई;
१९८६। २६. प्राकृत-हिन्दी कोष - सम्पादक : डॉ० के०आर० चन्द्र, प्रथम संस्करण; पृ०
१५+८९०, मूल्य रु० - ४००.००; आकार : रायल आठपेजी; १९८७। २७. आचाराङ्गसूत्र:एक अध्ययन- (ग्रं०मा०सं०३७),लेखक:डॉ० परमेष्ठीदास
जैन; प्रथम संस्करण; पृष्ठ २९+१७७; मूल्य रु०-१५०.००; आकार : डिमाई;
१९८७। २८. मूलाचार का समीक्षात्मक अध्ययन - (ग्रं०मा०सं०४०), लेखक : डॉ०
फूलचन्द जैन 'प्रेमी'; प्रथम संस्करण; पृष्ठ - २८+१५+५४३; मूल्य : रु० -
१६०.०० आकार : डिमाई; १९८७। २९. अर्हत्पार्श्व और उनकी परम्परा- (ग्रं०मा०सं०४३),लेखक : प्रो० सागरमल
जैन; प्रथम संस्करण; पृष्ठ - ८१; मूल्य : रु० - ४०.००; आकार : डिमाई;
१९८७। ३०. जैनधर्म में श्रमण संघ - लेखक : डॉ० फूलचन्द्र जैन 'प्रेमी'; प्रथम संस्करण;
पृ० - ७+८२; मूल्य रु० - २०, १९८७। ३१. हरिभद्रसूरि का समय निर्णय- (ग्रं०मा०सं०४७),लेखक : मुनि श्रीजिनविजय
जी; द्वितीयसंस्करण; पृ०७३; मूल्य:रु० - १०.००; आकार : डिमाई; १९८८।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org