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श्रमण, वर्ष ५९, अंक ३ / जुलाई-सितम्बर २००८
आचार्य हस्तीमल जन्म शताब्दी समारोह का पावन प्रसंग
अध्यात्मयोगी युग मनीषी परमाराध्य महामहिम आचार्य भगवन्त पूज्य श्री हस्तीमलजी म०सा० की जन्म शताब्दी समारोह का पावन प्रसंग (जनवरी-२०१० से जनवरी २०११) हमारे समक्ष उपस्थित हो रहा है। आचार्य भगवन्त साधना के बहुआयामी व्यक्तित्व थे । उच्च साधना के शिखर के साथ सामायिक स्वाध्याय की प्रेरणा हेतु सतत् जागृत एवं तत्पर रहने वाले महान् पुरुष की साधना-आराधना जनजन को आकर्षित एवं श्रद्धाभिभूत करने वाली है । गुरुभक्ति, श्रद्धा एवं संघ - समर्पण होने के नाते हमारा यह कर्तव्य बनता है कि ऐसे युगपुरुष के प्रति श्रद्धाभिव्यक्ति एवं उनके आदर्शों को जीवन में आत्मसात करने का लक्ष्य रखें। राष्ट्रीय स्तर पर इस पावन प्रसंग की साधना किस प्रकार की जा सकती है? किन आयोजनों के द्वारा इस शताब्दी समारोह को उत्कृष्ट एवं अनुकरणीय बनाया जा सकता है? इस सन्दर्भ में सभी सदस्यों से निवेदन है कि उक्त आयोजन हेतु अपने सकारात्मक सुझाव दें। अपने सुझाव शीघ्रातिशीघ्र संघ कार्यालय के पते पर भेजवाने का कष्ट करें जिससे यथा समय कार्यक्रमों की भूमिका बनाकर क्रियान्विति की जा सके।
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नवरतन डागा महामंत्री
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