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________________ जैन जगत् : १३१ संस्थान के उपाध्यक्ष श्री नरेन्द्र प्रकाश जैन ने स्वागत वक्तव्य, संस्था के प्रतिनिधियों एवं ग्रीष्मकालीन विद्यालय (प्राकृत भाषा एवं साहित्य) पर संक्षिप्त प्रकाश डाला। इस पाठ्यक्रम में प्रो० धर्मचन्द जैन (जोधपुर), डॉ० अशोक कुमार सिंह (दिल्ली), डॉ. दीनानाथ शर्मा (अहमदाबाद), डॉ० के०के जैन (जयपुर), डॉ० कमल के. जैन (पूना),डॉ० डी०के० राण (एन०एम०एम०, दिल्ली), कु० शालिनी शर्मा (दिल्ली) आदि ने अध्यापन कार्य किया। पूज्य साध्वी द्वय देशनाश्री जी महाराज एवं परमश्री जी महाराज द्वारा णमोकार महामंत्र तथा श्रीमती दीपशिखा जैन द्वारा सरस्वती वंदना, डॉ० के०के० चक्रवर्ती, डॉ० गोदावरीश मिश्र, डॉ० पी०वी० जोशी, डॉ० जितेन्द्र बी० शाह, श्री नरेन्द्र प्रकाश जैन द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ० बालाजी गणोरकर (निदेशक, बी०एल०आई०, दिल्ली) ने किया। श्री राजकुमार जैन (महासचिव, श्री आत्मवल्लभ जैन स्मारक शिक्षण निधि, दिल्ली) ने विजय वल्लभ स्मारक एवं उसमें चल रहे प्रकल्पों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अंत में श्री देवेन यशवन्त (कोषाध्यक्ष, बी०एल०आई० दिल्ली) ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। तीन सप्ताह तक चले इस कार्यक्रम हेतु भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर ने आर्थिक सहयोग प्रदान किया था। सोलापुर में 'प्राकृत शिक्षण शिविर' सम्पन्न प्राकृत भाषा विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। इस भाषा को जीवंत रखने का परमश्रेय जैनाचार्यों को है। प्राकृत भाषा ने ही अनेक भारतीय भाषाओं को जन्म दिया। परन्तु पिछले कुछ शताब्दियों ने इसके ह्रास को देखा है। भाषा लुप्त हो जाती है तो संस्कृति के जीवंत रहने की आशा भी नहीं की जा सकती। प्राकृत साहित्य एवं जैन संस्कृति के विकास की दृष्टि से वर्तमान के श्रेष्ठ आचार्यों (आचार्य विद्यानन्द, आचार्य सुनीलसागर आदि) एवं डॉ० आ०ने० उपाध्ये जैसे कुछ विद्वानों ने ठोस कदम उठाये हैं। इसी क्रम में सोलापुर के पं० विद्युन्लता विद्यायतन संस्कृत व जैन दर्शन महाविद्यालय द्वारा परमपूज्य आचार्य सुनीलसागर जी के सान्निध्य में (महाराष्ट्र) श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन कासार मंदिर, झुंजेबोल सोलापुर में रविवार दि० २४ से ३१ अगस्त २००८ तक शिविर आयोजित किया गया। इस शिविर में प्राकृत के सुप्रसिद्ध आशुकवि प्रो० डॉ० उदयचंद जैन, उदयपुर एवं डॉ. महावीर शास्त्री द्वारा प्रारंभिक प्राकृत व्याकरण एवं प्राकृत बोलचाल का विशेष प्रशिक्षण दिया गया। बाहर से पधारनेवाले शिविरार्थियों को भोजन एवं आवास की उचित व्यवस्था समिति की ओर से की गयी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525065
Book TitleSramana 2008 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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