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________________ श्रमण, वर्ष ५९, अंक १ जनवरी-मार्च २००८ जैन जगत् स्याद्वादमहाविद्यालय,वाराणसी के शताब्दी वर्ष पर पूर्व स्नातक बृहद् सम्मेलन श्री स्याद्वाद महाविद्यालय की स्थापना अब से १०३ वर्ष पूर्व १९०५ में श्रुतपंचमी को पूज्य गणेश प्रसाद वर्णी जी द्वारा की गई थी। वे इस महाविद्यालय के संस्थापक होकर भी इसके प्रथम छात्र व न्यायाचार्य बने। बीसवीं शताब्दी में सम्पूर्ण देश के जैन विद्वानों की विशाल परम्परा में ८० प्रतिशत विद्वान् इसी विद्यालय की देन हैं। सप्तम तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ की जन्मभूमि भदैनी में पवित्र गंगा तट पर प्रतिष्ठित इस महनीय महाविद्यालय के शताब्दी वर्ष का द्वि-दिवसीय समापन समारोह भव्यता के साथ २५ एवं २६ मई २००८ को बृहद् रूप में अयोजित किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत विभिन्न कार्यक्रमों में विद्वत् संगोष्ठी, पूर्व स्नातक सम्मेलन, प्रतिष्ठित विद्वानों का सम्मान तथा शताब्दी वर्ष पर प्रकाशित स्मारिका एवं अन्य ग्रन्थों का विमोचन प्रस्तावित है। इस आयोजन को भव्यता प्रदान करने हेतु इसी सूचना के माध्यम से आयोजन समिति ने यहां के पूर्व स्नातकों तथा अन्य सभी विद्वानों, श्रीमन्तों आदि से सुझाव भी सादर आमंत्रित किये हैं। देश के कोने-कोने में प्रतिष्ठित इस विद्यालय के सम्मानीय पूर्व स्नातकों को इस समारोह में इसी सूचना के माध्यम से सविनय आमंत्रित करने के साथ उनसे निवेदन है कि वे अपना वर्तमान पता, फोन नं० आदि सूचनायें शीघ्र भिजवाने का कष्ट करें, ताकि समारोह में उन्हें सादर आमन्त्रित किया जा सके। __ इस समारोह में जहां अनेक पूजनीय सन्तों का पावन सान्निध्य प्राप्त होगा, वहीं देश के गणमान्य नेताओं, श्रेष्ठिओं, शिक्षाविदों तथा विद्वानों को आमंत्रित किया जा रहा है। भगवान महावीर फाउंडेशन द्वारा प्रोत्साहन पुरस्कार वितरण भगवान महावीर फाउंडेशन की स्थापना सन् १९९४ में हुई। निःस्वार्थ भाव से विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत व्यक्तियों और संस्थाओं को प्रतिवर्षसम्मानित कर तीन पुरस्कारों द्वारा प्रोत्साहन प्रदान करना फाउंडेशन का उद्देश्य है। अहिंसा और शाकाहार, शिक्षा एवं चिकित्सा तथा राष्ट्र और समाजसेवा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए प्रत्येक पुरस्कार स्वरूप पांच लाख रुपये नकद, प्रशस्तिपत्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान किया जाता है। देश भर में अब तक भगवान महावीर फाउंडेशन द्वारा २९ पुरस्कार दिए जा चुके हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525063
Book TitleSramana 2008 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2008
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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