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श्रमण, वर्ष ५९, अंक १ जनवरी-मार्च २००८
पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्राङ्गण में
'हमारा पर्यावरण और आसन्न संकट' विषयक तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न
वाराणसी। २७-२९ मार्च २००८। पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी; वेद विभाग, का० हि० वि० वि०, वाराणसी और सुरुचि कला केन्द्र, वाराणसी के संयुक्त तत्त्वावधान में 'हमारा पर्यावरण और आसन्न संकट' विषय पर तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन पार्श्वनाथ विद्यापीठ में किया गया। जिसमें भारतवर्ष के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों के अतिरिक्त नेपाल, श्रीलंका, जापान और थाइलैण्ड के विद्वानों ने भी अपना शोध-पत्र प्रस्तुत किया। संगोष्ठी का उद्घाटन प्राच्यविद्या धर्म विज्ञान संकाय काहि०वि०वि० के सेमिनार हॉल में हुआ। उद्घाटन-सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में पधारे चिपको आन्दोलन प्रणेता व भारतवर्ष के प्रख्यात पर्यावरणविद् श्री सुन्दरलाल बहुगुणा ने कहा कि विकास की अंधी दौड़ ने पर्यावरण के सभी अवयवों को प्रदूषित कर दिया है। यहाँ तक कि माँ गंगा को भी न तो स्वच्छ रहने दिया है और न ही अविरल बहने दिया है। गंगा भारतीय संस्कृति की आधार और देश की जान है। ऐसे में जरूरत है काशी के बेटे-बेटियाँ अपनी माँ को बचाने के लिए आगे आएँ तभी देश में जीवन व अस्मिता की रक्षा हो सकेगी। उन्होंने कहा कि भोगवादी संस्कृति का पहला तोहफा है- प्रदूषण। इस संकट का एक कारण यह है कि हमने महिलाओं को पीछे कर रखा है। इस प्रदूषण मुक्ति के लिए उन्हें आगे लाना होगा। किसी खामी को दूर करने के लिए स्त्रियाँ ही सक्षम हैं, क्योंकि उनमें ममता होती है।
दीप प्रज्वलन द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रसिद्ध पर्यावरणविद् श्री सुन्दर लाल बहुगुणा जी एवं प्रो० वीरभद्र मिश्र
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