SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 201
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी अनुवाद हे सुन्दर! किस हेतु से यह नगर सहसा ऊजड़ बन गया है? तब उसने कहा- आप सुनिये मैं कहता हूँ। कनकप्रभ विद्याधरेन्द्र गाहा ताव सुपसिद्धमेयं विज्जा-पन्नत्ति-गविओ सूरो। पालइ पुर-वरमेयं कणगपहो खयर-रायत्ति ।।१८६।। संस्कृत छाया तावत् सुप्रसिद्ध- मेतद् विद्याप्रज्ञप्ति- गर्वितश्शूरः । पालयति पुरवरमेतत् कनकप्रभः खचरराज इति ।।१८६।। गुजराती अर्थ___ 'प्रज्ञप्तिविद्याथी गर्वित, शूरवीर, सुप्रसिद्ध खेचरेन्द्र कनकप्रश्न नामनो राजा आ नगरनुं पालन करतो हतो । हिन्दी अनुवाद प्रज्ञप्ति विद्या से गर्वित, शूरवीर, सुप्रसिद्ध खेचरेन्द्र कनकप्रभ राजा इस . नगर पर शासन करता था। गाहा जलणप्पहस्स जेट्ठस्स भाउणो पिउ-विदिन-रज्ज-पयं । उद्दालिऊण जेणिह अहिट्टियं अप्पणा चेव ।।१८७।। संस्कृत छाया ज्वलनप्रभस्य ज्येष्ठस्य भ्रातुः पितृवितीर्ण-राज्यपदम् । आच्छिद्य येनेहाधिष्ठित-मात्मना एव ।। १८७।। गुजराती अर्थ मोट आई ज्वलनप्रश्न नु पिता ए आपेल राज्यपद झूटवीने पोते अहिं . अधिष्ठित थयो! हिन्दी अनुवाद पिता द्वारा बड़े भाई ज्वलनप्रभ को दिए हुए राज्य को छीनकर स्वयं . मालिक बन गया। अथ 293
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy