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________________ मध्यकालीन भारतीय प्रतिमालक्षण : १५. और अजितनाथ की संघात मूर्तियाँ, उदयपुर के नागदा स्थित सास मन्दिर की नरसिंह पर आरूढ़ उमा-महेश्वर मूर्ति, ओसियाँ की मनु, नर-नारायण, श्रृंगारदुर्गा, तीर्थंकरों के लक्षणों वाली जीवन्तस्वामी महावीर मूर्तियाँ और शीतला मूर्तियाँ एवं पूर्वी भारत में नालन्दा, कुर्किहार से प्राप्त बुद्ध की सर्वालंकृत मूर्तियाँ मध्यकालीन विलक्षण देवमूर्तियों के कुछ मुख्य उदाहरण हैं। मध्यकालीन देवमूर्तियों में पशु-पक्षी और वनस्पति जगत् यानी सम्पूर्ण प्रकृति के साथ देवता के सामीप्य को और भी मुखर किया गया है। सभी देवी-देवताओं के साथ वाहन या लांछन के रूप में कोई न कोई पशु या पक्षी सम्बद्ध है। बुद्ध एवं तीर्थंकरों को कैवल्य या सम्बोधि भी सर्वदा वृक्षों के नीचे ही प्राप्त हुई है। वराह, नरसिंह, वैकुण्ठ, गणेश, हयग्रीव, नैगमेषी, गोमुख पक्ष तथा कई अन्य देव-स्वरूपों के माध्यम से पशु जगत् के साथ देवताओं का सम्बन्ध उजागर हुआ है। बाहुबली की मूर्तियों में साधनारत बाहुबली के शरीर से लिपटी लतावल्लरियाँ प्रकृति के साथ बाहुबली के एकाकार होने की सूचक हैं। ऐसे ही बाहुबली के शरीर पर सर्प, वृश्चिक का अंकन और शिव-पशुपतिनाथ के साथ सर्प, मृग, व्याघ्र आदि का दिखाया जाना भी पशु जगत् के प्रति सम्मान तथा पर्यावरण सन्तुलन के प्रति मध्यकालीन शिल्पी के आग्रह और प्रतिबद्धता को व्यक्त करता है। नाग और वृक्ष पूजन की प्राचीन परम्परा भी निरन्तर विकसित होती रही। वास्तव में मध्यकालीन देव-मूर्तियों में प्रकृति जगत् का महत्त्व एक स्वतन्त्र अध्ययन का विषय है। सन्दर्भ : विस्तार एवं प्रतिमालक्षण के प्रारम्भिक अध्ययन से सम्बन्धित सामग्री के लिये द्रष्टव्य १. जे०एन० बनर्जी, दि डेवलपमेण्ट ऑफ हिन्दू आइकनोग्राफी, कलकत्ता, १९५६, ' प्रथम अध्याय, पृ० १-३५, २. टी०ए० गोपीनाथ राव, एलिमेण्ट्स ऑफ हिन्दू आइकनोग्राफी, खण्ड-१, भाग-१, वाराणसी, १९७१(पु०मु०) पृ० १-५९, ३. डी०सी० भट्टाचार्य, आइकनोग्राफी ऑफ बुद्धिस्ट इमेज, दिल्ली, १९८०, अध्याय-१, पृ० १-९, ४. एन०पी० जोशी, 'मूर्ति विज्ञान के अध्ययन की पद्धतियाँ और विधाएँ, कला इतिहास विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा जनवरी १९८९ में आयोजित हिस्टोरियोग्राफी ऑफ इण्डियन आर्ट विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत शोधनिबन्ध।
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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