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गाहा
वंदिय-जिणिंद-बिंबो जिण- उग्गह-वज्जियम्मि एगते ।
गंतूणं उवविठ्ठो समागया ताव रयणीवि ।।१७१।। संस्कृत छाया
वन्दित-जिनेन्द्र-बिम्बो जिनावग्रहवर्जिते एकान्ते ।
गत्वोपविष्टस्समागता तावद् रजन्यपि ।। १७१।। गुजराती अर्थ
जिनप्रतिमाओने वंदन करीने जिनावग्रह (जिन मंदिर नी मर्यादा नी चहारनी भूमी थी रहित एकान्त मां जईने घेठो तेटलीवारमा रात्री पण थई गई। हिन्दी अनुवाद
जिनबिम्ब को वन्दन करके (मंदिर की मर्यादा के बहार) जिनावग्रह से रहित एकान्त में जाकर बैठा उतनी देर में रात हो गई। गाहा
अह चिंतिउं पयत्तो किं मन्ने तीइ मज्झ हत्याओ।
गहिउं (गहि?) मुद्दा-रयणं? किंवा मह ढोइयं निययं? ।।१७२।। संस्कृत छाया
चित्रगति नी चिंता अथ चिन्तयितुं प्रवृत्तः किं मन्ये तया मम हस्तात् ।
गृहीतं मुद्रारलं? किं वा मे ढौकितं निजकम् ? ।।१७२।। गुजराती अर्थ
हवे ते विचारवा माटे प्रवृत्त थयो के तेणीस मारा हाथमाथी मुद्रारत्न ने लईने मारा हाथ मां पोतानी अंगूठी मूकी आनु कारण शुं हशे? हिन्दी अनुवाद
अब वह सोचने लगा कि उसने मेरे हाथ में से मुद्रारत्न लेकर और खुद की मुद्रारत्न मुझे भेंट दी इसका क्या कारण है? गाहा
कह णु मए नायव्वं तीए कुलं? कह व सा वरेयव्वा? । जइ सा हविज्ज महिला हविज्ज तो जीवियं सहलं ।।१७३।।
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