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________________ गुजराती अर्थ तेथी कपट ने छोडीने यथास्थित कहे, ज योग्य छे. के कन्या नी मूल स्थान ने शोधी ने हुं आवीश। हिन्दी अनुवाद अत: कुटिलता को छोड़कर यथास्थित कहना ही योग्य है कि कन्या का मूलस्थान खोजकर-जानकर मैं आऊँगा। गाहा एवं च तेण भणिओ चित्तगई विहसिऊण वज्जरइ । सम्मं वियाणियं ते मणो-गयं मज्झ दमघोस! ।।१६९ संस्कृत छाया एवञ्च तेन भणितश्चित्रगतिर्विहस्य कथयति । सम्यग् विज्ञातं त्वया मनोगतं मे दमघोष! ।।१६९।। गुजराती अर्थ ___ आ प्रमाणे तेना वड़े कहेवायेलो चिरगति हसीने कहे छे. हे! दमघोष? मारा मनमा रहेलु ते सारी रीते जाणी लीधु। हिन्दी अनुवाद इस प्रकार उसके कहने पर चित्रगति हँसकर कहता है, हे दमघोष! मेरे दिल की बात तुमने अच्छे से जान ली। गाहा अह सो कय-प्पणामो उप्पइओ पाविओ नियं ठाणं । चित्तगईवि पविट्ठो जुगाइ-जिणमंदिरे रम्मे ।।१७०।। संस्कृत छाया अथ स कृतप्रणाम उत्पतितः प्राप्तो निजं स्थानम् । चित्रगतिरपि प्रविष्टो युगादि-जिनमन्दिरं रम्यम्।। १७० ।। गुजराती अर्थ हवे ते करेला प्रणामवाळो, उडेलो, पोताना स्थाने पहोंच्यो. अने चित्रगति पण आदिनाथ भगवान ना मनोहर मन्दिर मां प्रवेश्यो. हिन्दी अनुवाद अब वह प्रणाम करके उड़कर अपने स्थान पर आया और चित्रगति ने भी आदिनाथ के जिनमन्दिर में प्रवेश किया। 286
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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