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________________ संस्कृत छाया कथं नु मया ज्ञातव्यं तस्याः कुलं? कथं वा सा वरितव्या? । यदि सा भवेद् महिला भवेत् ततो जीवितं सफलम् ।। १७३।। गुजराती अर्थ मारे तेणीनुं कुल (पैतृक वंश) केवी रीते जाणवु अथवा तेणीने केवी रीते परणवी, जो ते मारी पत्नी थाय तो माफ जीवित सफल थाय। हिन्दी अनुवाद उस बाला का कुल कैसे जानें? अथवा उनके साथ विवाह कैसे करूं? यदि वह मेरी भार्या बने तो मेरा जीवन सफल बने। गाहा तारिस-रूव-जुयाए समयं इह विसय-सेवणं जुत्तं । तदभावे विसयासा विडंबणा मज्झ पडिहाइ ।।१७४।। संस्कृत छाया तादृश- रूपयुतया समक-मिह विषयसेवनं युक्तम् । तदभावे विषयाऽऽशा विडम्बना में प्रतिभाति ।।१७४।। गुजराती अर्थ तेवा प्रकारनी रूपवती स्त्री साथे ज अहीं विषयसेवन करवु योग्य छे. तेणीना अध्यावमां विषयोनी आशा मने विडम्बना (कप) ज लागे छ। हिन्दी अनुवाद ऐसी रूपवती स्त्री के साथ ही विषय उपभोग करना उचित है। अन्यथा विषयों की आशा बिडम्बना रूप ही है। गाहा सो य कयत्थो पुरिसो लग्गिज्जा जस्स कर-यले बाला । रंभा-गब्भ-सुकोमल-बाहु-लया हंस-गइ-गमणा ।।१७५।। संस्कृत छाया स च कृतार्थः पुरुषो लगेद् यस्य करतले बाला। रम्भागर्भ-सुकोमल- बाहुलता हंसगतिगमना ।।१७५।। गुजराती अर्थ कदलीना गर्थ जेवी सुकोमल चाहुवाळी, हंस ना गति जेवी गमनवाळी ते बाला जेना हाथ मां जशे ते पुरुष कृतार्थ थशे! । 288
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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