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संस्कृत छाया
सोऽपि खलु प्रवहण - निवहं भञ्जन् दन्तपादघातैः । उन्मूलयन् शुण्डया हिण्डते सर्वतस्तत्र ।। १३७।। गुजराती अर्थ
ते हाथी पण दांत अने पग ना घात वड़े वहानो ना समूह ने भांगतो सूंढ वड़े उखाडतो त्यां चारे बाजु भमवा लाग्यो ।
हिन्दी अनुवाद
वह हाथी भी दांत और पैरों से वाहनों के समूह को नष्ट करता हुआ, सूंड से उखाडता चारों ओर घूमने लगा।
गाहा
कोऊहलेण गयणे परिट्ठिओ पुलोइउं पयत्तो सा | चित्तगई मत्त - करिं कयंत वयणं व दुष्पिच्छं ।। १३८ ।।
संस्कृत छाया
कुतूहलेन गगने प्रतिष्ठितो द्रष्टुं प्रवृत्तः सः । चित्रगतिर्मत्तकारिणं कृतान्त वदनमिव दुष्प्रेक्ष्यम् ।। १३८ । । गुजराती अर्थ
त्यारे गगन मां रहेल चित्रगति यमराज ना मुख जेवा दुःखे थी जोई शकाय तेवा मदोन्मत्त हाथी ने कुतूहलता थी जोवा माटे प्रवृत्त थयो! हिन्दी अनुवाद
तब यमराज के मुख के तुल्य दुष्प्रेक्ष्य, मदोन्मत्त हाथी को गगन में रहा चित्रगति कुतूहल से देखेने लगा।
एक युवती
गाहा
एत्यंतरम्मि एगम्मि रह- वरे पढम- जोव्वणारंभा ।
जुवई अणन्न- रूवा बहुविह वर- भूसणाइन्ना ।। १३९ ।।
उम्मग्ग- पयट्टेहिं जच्च - तुरंगेहिं हत्थि तट्ठेहिं ।
भग्गम्मि रहे भूमीइ निवडिया विगय- जीय व्व ।। १४० ।। । । युग्मम् ।
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