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ते, चधु जोई ने पण ज्वलनप्रय अक्षुब्धमनवाळो सारी टीते पोतानी क्रिया करतो जरा यण चलित न थयो। हिन्दी अनुवाद
चित्रगति को देखकर नमस्कार करके, एकान्त में ले जाकर दमघोष ने इस प्रकार कहा- बहन को छुड़ाने के लिए आप गगन में उड़े। यह सब देखकर भी अक्षुब्ध चित्तवाला ज्वलनप्रभ तनिक भी अपनी क्रिया से चलायमान नही हुआ! गाहा
निच्चल-चित्तं दटुं जलणपहं मंत-जाव-वावारं ।
अह सा रोहिणि-विज्जा पच्चक्खा झत्ति संजाया ।। १२३।। संस्कृत छाया
विद्या प्राप्ति निश्चलचित्तं दृष्ट्वा ज्वलनप्रभं मन्त्रजाप- व्यापारम् ।
अथ सा रोहिणीविद्या प्रत्यक्षा झटिति सञ्जाता ।।१२३।। गुजराती अर्थ
मन्त्रजाप नी क्रिया मां निश्चलचित्तवाळा ज्वलनप्रथने जोई ने ते रोहिणी विद्यादेवी जल्दी थी प्रत्यक्ष थई! हिन्दी अनुवाद
मन्त्रजाप की क्रिया में निश्चल चित्तवाले ज्वलनप्रभ को देखकर वह रोहिणीविद्या देवी शीघ्र ही प्रत्यक्ष हुई। गाहा
भणियं च तीए पुत्तय! अणन्न-सरिसं हि सुट्ट धीरत्तं ।
ता सिद्धा तुज्झ अहं भणसु य जं मज्झ कायव्वं? ।।१२४।। संस्कृत छाया
भणितं च तया पुत्रक! अनन्यसदृशं हि सुष्ठु धीरत्वम् ।
तस्मात् सिद्धा तवाहं भण च यद् मे कर्तव्यम् ?।।१२४।। गुजराती अर्थ
अने तेणी स कहयु-हे पुत्र! तारा मां धीरत्व खरेखर अनन्य छे. तेथी हुँ तने सिद्ध (आधीन) थई छु, मारे जे करवा योग्य होय तेनो आदेश कर। .
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