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________________ हिन्दी अनुवाद और उसने कहा- हे पुत्र ! तेरे में निश्चित ही अनन्य धैर्य है! अतः मैं तेरे अधीन हूँ। मुझे जो कार्य करना है उसका आदेश कीजिए। गाहा भणियं जलणपहेणं अवहरिया मज्झ भारिया जा सा । कणगप्पणं, तं ताव सिग्द्यमाणेह मह पासं । । १२५ ।। संस्कृत छाया भणितं ज्वलनप्रभेणापहृता मे भार्या या सा । कनकप्रभेण तां तावत् शीघ्रमानयत मे पार्श्वम् ।। १२५ ।। गुजराती अर्थ ज्वलनप्रभे कहयुं, 'मारी जे पत्नी कनकप्प्रभे हरी छे तेने जल्दी थी मारी पासे लावो ! हिन्दी अनुवाद तब ज्वलनप्रभ ने कहा- मेरी जो पत्नी को कनकप्रभ उठाकर ले गया है उसे जल्दी से मेरे पास लाओ। गाहा भणियं विज्जाइ तओ सुणसु इमं ताव वइयरं पुत्त ! | केवलि - वयणाईओ सव्वोवि हु वइयरो तस्स ।। १२६ ।। पन्नत्तीए कहिओ तत्तो सो आगओ तुह समीवे । खोहण - हेडं सव्वं मायाए कयं इमं तेण ।। १२७ । । युग्मम् । । संस्कृत छाया भणितं विद्यया ततः शृण्विमं तावद् व्यतिकरं पुत्र! | केवलिवचनादेः सर्वोऽपि खलु व्यतिकरस्तस्य ।। १२६ ।। प्रज्ञप्त्या कथितस्ततः स आगतस्तव समीपे । क्षोभण हेतुं सर्वं मायया कृतमिदं तेन ।। १२७ । । युग्मम् ।। गुजराती अर्थ विद्याए कहूं, 'हे पुत्र ! आ वृत्तांत सांभळ एम केवळी वचनथी शरु करी संपूर्ण वृत्तांत तेने को पछी ते तारी पासे आव्यो अने तने क्षोभ पाडवा आ धुं तेणेज मायाथी कर्तुं । 269 -
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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