SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 175
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी अनुवाद प्रथम ऋषभदेव प्रभु के श्रेष्ठ जिनालय में यात्रा के समय पर विविध वस्त्रों से युक्त सुंदर जनसमूह को देखकर चित्रगति ने ( भी ) जिनभवन में प्रवेश करके, जिनेश्वर आदिनाथप्रभु की भक्तिभाव से वन्दना करके विद्याधरों के बीच में बैठा ! गाहा पत्तो खतराओ जलणप्पह- पेसिओ नरो एगो । पुच्छंतो चित्तगइं दमघोसो नाम जिण- भवणे ।। १२० ।। संस्कृत छाया प्राप्तः क्षणान्तराद् ज्वलनप्रभप्रेषितो नर एकः । पृच्छन् चित्रगतिं दमघोषो नाम जिनभवने । । १२० ।। गुजराती अर्थ एटलीवार मां ज्वलनप्रभे मोकलेल दमघोष नाम नो एक माणस चित्रगति नी पृच्छा करतो जिनभवन मां आव्यो । हिन्दी अनुवाद उतनी देर में ज्वलनप्रभ से प्रेषित दमघोश नाम का एक व्यक्ति चित्रगति की तलाश करता हुआ जिनभवन में आया। गाहा दट्ठूण य चित्तगई पणमिय नेऊण ताहि एगंते । दमघोसो भइ तओ भगिणीए विमोयणट्ठाए । । १२१ । । उप्पइओ ताव तुमं, जलणपहो पिच्छिउंपि तं सव्वं । अक्खुहिय- मणो सम्मं नवि चलिओ नियय-किरियाओ ।। १२२ ।। ।। युग्मम् ।। संस्कृत छाया दृष्ट्वा च चित्रगतिं प्रणम्य नीत्वा तदा एकान्ते । दमघोषो भणति ततो भगिन्या विमोचनार्थाय ।। १२१ । उत्पतितस्तावत् त्वं ज्वलनप्रभः प्रेक्ष्याऽपि तत् सर्वम् । अक्षुभितमनाः सम्यग् नहि चलितो निजक्रियायाः ।। १२२ । । युग्मम् ।। गुजराती अर्थ चित्रगति ने जोई ने अने नमस्कार करी ने एकान्त स्थान मां लई जई ने दमघोष आ प्रमाणे कहे छे- 'बहेन ने छोडाववा माटे तमे उडया, 267 4 J
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy