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________________ गाहा अह सो मोहिय- चित्तो चित्तगई तत्थ बाहिरुज्जाणे । (वी? ) बीसरिय- भगिणि- हरणो कोउहल्लेण । । ११७ ।। संस्कृत छाया चित्रगति नी मूढता अथ स मोहितचित्तश्चित्रगतिस्तत्र बहिरुद्याने । विस्मृत- भगिनिहरणोऽ वतरितः कुतूहलेन । । ११७ । । गुजराती अर्थ हवे मोहित थयेला चित्तवाळी चित्रगति बहेन ना अपहरण ने भूलीने कुतुहलताथी त्यां बहार ना उद्यान मां उतर्यो । हिन्दी अनुवाद इधर मोहित चित्तवाला चित्रगति बहन के अपहरण की बात भूलकर कुतूहलता से वहीं बाहर उद्यान में उतर गया। संस्कृत छाया अवयरिओ गाहा दृठ्ठे जण- संदोहं उसभ - जिणिंदस्स पवर- भवणम्मि | जत्ता- समए मिलियं विचित्त नेवत्थ- सच्छायं । । ११८ । । पविसिय जिणिंद-भवणं वंदिय भत्तीइ पढम-जिण नाहं । उवविट्ठो चित्तगई विज्जाहर नियर मज्झम्मि ।। ११९ । । युग्मम् । । - दृष्ट्वा जनसन्दोहं ऋषभजिनेन्द्रस्य प्रवरभवने । यात्रासमये मिलितं विचित्रनेपथ्यसच्छायम् ।। ११८।। प्रविश्य जिनेन्द्रभवनं वन्दित्वा भक्त्या प्रथमजिननाथम् । उपविष्टश्चित्रगतिर्विद्याधरनिकरमध्ये । । ११९ ।। युग्मम् ।। 266 गुजराती अर्थ ऋषभदेव भगवान ना श्रेष्ठ जिनालय मां यात्रा ना समये विविध वस्त्रो थी सुंदर जन समूह ने भेगो थयेलो जोईने । चित्रगति (पण) जिनभवन मां प्रवेशी ने प्रथम जिनेश्वर ऋषभदेव भगवान ने भक्तिपूर्वक वन्दन करी ने विद्याधरो नी मध्ये बेठो!
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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