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________________ कहता है 'अरे! कुल कलङ्की! मेरी नजरों में आकर अब तू कहाँ जाता है? तेरा पुरुषत्व बता! इसी तलवार से ही तेरा सिरच्छेद करूंगा।' इत्यादि वचन बोलता हुआ तीक्ष्ण तलवार को हाथ में लेकर चित्रगति बहन । को छुड़ाने के लिए पीछे दौड़ा। गाहा अह तं विमोहयंतो कणगपहो आगओ नियय-नयरे । चित्तगईवि खयरो अणुमग्गं तस्स संपत्तो ।। ११५।। संस्कृत छाया विमोहीनी विद्या अथ तं विमोहयन् कनकप्रभ आगतो निजनगरे । चित्रगतिरपि खचरोऽनुमार्ग तस्य सम्प्राप्तः ।।११५।। गुजराती अर्थ हवे तेने मोह पमाडतो कनकप्रय पोताना नगर मां आव्यो, अने चित्रगति पण तेना मार्ग ने अनुसरतो आव्यो! हिन्दी अनुवाद अब कनकप्रभ भी चित्रगति को मोहित करता हुआ अपने नगर में आया और चित्रगति भी उसके मार्ग का अनुसरण करते हुए आया। गाहा तत्तो विमोहणीए विज्जाए मोहिऊण चित्तगई। सुरनंदणे पविट्ठो कणगपहो नियय-नयरम्मि ।।११६।। संस्कृत छाया ततो विमोहिन्या विद्यया मोहयित्वा चित्रगतिम् । सुरनन्दने प्रविष्टः कनकप्रभो निजकनगरे ।।११६।। गुजराती अर्थ त्यारपछी मोहिनी विद्या बड़े चित्रगति ने मोह पमाडी ने कनकप्रभ सुरनन्दन नामना पोताना नगर मां प्रवेश्यो। हिन्दी अनुवाद उसके बाद मोहिनी विद्या से चित्रगति को मोहित करके कनकप्रभ सुरनन्दन नाम के अपने नगर में आ गया। 265
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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