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गाहा
उग्गीरिऊण खग्गं भणिया हं तेण इच्छसु ममंति ।
अह नवि, तो ते सीसं छिंदामि इमेण खग्गेण ।।१०९।। संस्कृत छाया
उद्गीर्य खड्गं भणिताऽहं तेनेच्छ मामिति ।
अथ नहि ततस्ते शीर्ष छिनदिम्यनेन खड्गेन ।।१०९।। गुजराती अर्थ
त्यारे तलवार ने उगामी ने तेणे मने कहयुं मने ईच्छ! नहीं तो आ तलवार थी ज तारु मस्तक छेदी नांखीश । हिन्दी अनुवाद
तब उसने तलवार निकाल कर मुझे कहा कि- तू मुझसे प्यार कर नहीं तो इसी तलवार से तेरा सिरच्छेद करूंगा। गाहा
एवं च तेण भणिया पलायमाणी भएण कंपंती । __ पत्ता तुम्ह समीवे रक्ख ममं ताओ पावाओ ।।११०।। संस्कृत छाया
एवञ्च तेन भणिता पलायमाना भयेन कम्पमाना।
प्राप्ता तव समीपे रक्ष मां तस्मात् पापात् ।।११०।। गुजराती अर्थ
आ प्रमाणे कहेवायेली हुं ते भय बड़े कंपती भागती. तारी पासे आवी छु ते पापी थी मारी रक्षा कर! हिन्दी अनुवाद
इस प्रकार कही गई मैं भय से काँपती, दौड़ती हुई तेरे पास आयी हूँ। तुम उस पापी से मेरी रक्षा करो। गाहा
एवं भणमाणिं तं सहसा आगम्म गिहिउं हत्थे । उप्पइओ कणगपहो तमाल-दल-सामलं गयणं ।।१११।। हा! रक्ख रक्ख भाउय! हा वल्लह! कुणसु मह परित्ततिं । एमाइ विलवमाणिं हीरंतिं दट्ट निय-भगिणिं ।।११२।।
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