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________________ हिन्दी अनुवाद भीषण और भयंकर उपसर्ग आने पर भी मन को स्थिर करना इस प्रकार सात मास पूर्ण होने पर विद्या आपको दर्शन देंगी। गाहा एवं रन्ना भणिया दोन्निवि पणमित्तु तस्स पय-कमलं । पारद्धा तं काउं छम्मासा जाव पुन्नत्ति ।।१०।। संस्कृत छाया एवं राज्ञा भणितौ द्वावपि प्रणम्य तस्य पदकमलम् । प्रारब्यौ तत्कर्तुं षण्मासा यावत् पूर्णा इति ।। १०० ।। गुजराती अर्थ आ प्रमाणे राजा वड़े कहेवायेला चल्ने ए पण राजा ना चरण मां नमस्कार करी ने करवामाटे प्रारंभ कर्यो। तेवामा छ मास पूर्णथया। हिन्दी अनुवाद इस प्रकार राजा के कहने पर दोनों ने राजा के चरण में प्रणाम करके जाप की विधि का प्रारंभ किया! इतने में छ: मास पूर्ण हुए। गाहा अह सत्तमम्मि मासे गंतुं अडवीए तविही सव्वो । जलणप्पहेण पुव्विं पारद्धो जाव-होमाई ।।१०१।। संस्कृत छाया अथ सप्तमे मासे गत्वाऽटव्यां तद्विधिः सर्वः । ज्वलनप्रभेण पूर्व प्रारब्यो जाप-होमादिः ।।१०१।। गुजराती अर्थ हवे सात मा महिने जंगल मां जई ने ते सर्व जाप होमादिनो विधि ज्वलनप्रश्धे प्रारंभ कर्यो! हिन्दी अनुवाद बाद में सातवें माह में जंगल में जाकर जाप होमादि सम्पूर्ण विधि का . ज्वलनप्रभ ने प्रारंभ किया। 259
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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