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________________ हिन्दी अनुवाद और उत्तमवंश में उत्पन्न कलहंसी एवं मंजूषा नाम की दो श्रेष्ठ पटरानियां उसके सकल अन्तःपुर में थी । गाहा कलहंसीए जाओ पुत्तो जलणप्पहोत्ति नामेण । मंजूसाए लहुओ पुत्तो कणगप्पहो नाम ।। ४२।। संस्कृत छाया कलहंस्या जातः पुत्रो ज्वलनप्रभ इति नाना । मञ्जूषाया लघुकः पुत्रः कनकप्रभो नाम ।। ४२।। गुजराती अर्थ कलहंसीथी ज्वलनप्रम नामनो (ज्येष्ठ) पुत्र थयो अने मंजूषाथी कनकप्रभ नामनो नानो पुत्र थयो. हिन्दी अनुवाद कलहंसी से ज्वलनप्रभ नाम का (ज्येष्ठ) पुत्र उत्पन्न हुआ और मंजूषा से छोटा पुत्र कनकप्रभ हुआ । गाहानियय-सहोयर-वयणं सुमरंती बंधुसुंदरी देवी । नाऊण चित्तलेहं निय-धूयं जोव्वणं पत्तं ।।४३।। अह तं भाउय-वयणं साहइ दइयस्स भाणुगइणो सा। तत्तो य भाणुगइणा निय-धूया चित्तलेहा सा ।। ४४।। दिना खयर- पहंजण-सुयस्स जेट्ठस्स रूव-जुत्तस्स । जलणपहस्स, तेणवि परिणीया परम-पीईए ।।४५।। तिसृभिः कुलकम्।। संस्कृत छाया निजकसहोदरवचनं स्मरन्ती बन्युसुन्दरी देवी। ज्ञात्वा चित्रलेखां निजदुहितारं यौवनम्प्राप्ताम् ।। ४.३।। अथ तद् भ्रातृवचनं कथयति दयिताय भानुगतये सा। ततश्च भानुगतिना निजदुहिता चित्रलेखा सा ।।४४।। 236
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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