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गुजराती अर्थ
सुमुख नामना चारणऋषिना चरणकमलमां श्रमणजीवन स्वीकारीने. कर्म रूपी जाळनो नाश करीने अन्तकृत् (एज जन्ममां मोक्षे जवा वाळा) . केवली थया ।
हिन्दी अनुवाद
सुमुख नाम के चारणऋषि के चरणकमल में संयमजीवन जीकर कर्मजाल का नाश करके अन्तकृत् ( उसी जन्म में मुक्ति पानेवाले) केवली बन गए ।
गाहा
जाओ पहंजणोवि हु विज्ज़ाहर नरवई पयाविल्लो ।
भुंजइ जणय - विइण्णं रज्जं गय-सयल - आसंको ।। ४० ।। संस्कृत छाया
जातः प्रभञ्जनोऽपि खलु विद्याधरनरपतिः प्रतापवान् ।
भुनक्ति जनक- वितीर्णं राज्यं गत-सकलाऽऽ शङ्कः ।। ४० ।। गुजराती अर्थ -
प्रभंजन पण विद्याधरोनो प्रतापवान् राजा थयो. ते पिताए आपेला राज्यने सम्पूर्णपणे निःशंक थईने भोगववा लाग्यो.
हिन्दी अनुवाद
प्रभंजन भी विद्याधरों में प्रतापी राजा हुआ। वह पिता से मिले राज्य को संपूर्ण रूप से निःशंकित होकर भोगने लगा ।
गाहा
तस्स य सयलंतेउर - पवराओ दुन्नि अग्ग- महिसीओ । कलंहसी मंजूसा उत्तम - वंस - प्पसूयाओ ।।४१।।
संस्कृत छाया
तस्य च सकलान्त: पुर - प्रवरे द्वेऽग्रमहिष्यौ ।
कलहंसी मञ्जूषोत्तमवंशप्रसूते । । ४१ । ।
गुजराती अर्थ
अने तेना सकल अन्तःपुरमां श्रेष्ठ अने उत्तम कुळमां उत्पन्न थयेली कलहंसी अने मंजूषा नामनी से पट्टाराणीओ हती.
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