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हिन्दी अनुवाद
उसके बाद देवी ने सुंदर स्वप्नों से सूचित एक पुत्र को जन्म दिया और . शुभ तिथि नक्षत्र में उसका नाम चित्रगति रखा ! गाहा
हरिचंदोवि हु राया चारण-समणस्स सुमुह-नामस्स । पय-मूले सोऊणं जिण-धम्मं सिद्धि-सुह- हेउं ।। ३७।। नियय-पए ठविऊणं पहंजणं निय-सुयं विणिक्खंतो ।
संसार-वास-भीओ निम्विन्नो काम-भोगाण ।। ३८।।युग्मम्।। संस्कृत छाया
हरिचन्द्रोऽपि खलु राजा चारणश्रमणस्य सुमुखनामः । पादमूले श्रुत्वा जिनधर्म सिद्धिसुख- हेतुम् ।। ३७।। निज-पदे स्थापित्वा प्रभञ्जनं निज-सुतं विनिष्क्रान्तः ।.
संसारवासभीतो निर्विण्णः कामभोगेभ्यः ।। ३८।।युग्मम्।। गुजराती अर्थ
सुमुख नामना (आकाशगामि विद्यावाळा) चारणश्रमणना चरण कमलमां मोक्षसुखना कारणभूत जिनधर्मने सांभळीने पोताना स्थाने पोताना पुत्र प्रभंजनने स्थापिने संसारवासथी गभरायेला, कामभोगोथी विरक्त थयेला राजा हरिचन्द्रे पण संयम ग्रहण कर्यु । हिन्दी अनुवाद
सुमुख नाम के चारणश्रमण के चरणकमल में सिद्धि सुख के हेतु रूप जिनधर्म को सुनकर संसारवास से डरा हुआ, कामभोगों से उद्विग्न हरिचन्द्र राजाने भी अपने स्थान पर अपने पुत्र प्रभंजन को स्थापित करके संयम ग्रहण किया ! गाहा
सामन्नं काऊणं पय-मूले चारणस्स सुमुहस्स ।
निट्ठविय-कम्म-जालो अंतगडो केवली जाओ।।३९।। संस्कृत छाया
श्रामण्यं कृत्वा पदमूले चारणस्य सुमुखस्य । निष्ठापितकर्मजालोऽन्तकृत् केवली जातः ।। ३९।।
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