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________________ संस्कृत छाया तत्र च खचरनरेशो भानुगतिर्नामानामाऽ तुल्यसामर्थ्यः । निर्जितानङ्गरूपः कामिनीजनमानसानन्दः ।।३२।। गुजराती अर्थ अने त्यां अतुल्य सामर्थ्यवान, छप वडे कामदेवने जीतनाट स्त्रीजनोना मनने आनन्द आपनार 'थानुगति' नामनो विद्याधर राजा हतो । हिन्दी अनुवाद और वहाँ अतुल्य सामर्थ्यवान्, सुन्दरता में कामदेव को भी पराजित करनेवाला स्त्रीजन के मन को आनन्दित करनेवाला 'भानुगति' नाम का विद्याधर राजा था ! गाहा हरिचंद-खयर-पवरेण निय-सुया बंधुसुंदरी तस्स । दिना वर-पीईए विवाहिआ सायरं तेण ।।३३।। संस्कृत छाया हरिचन्द्रखचरप्रवरेण निजसुता बन्युसुन्दरी तस्मै । दत्ता वरप्रीत्या विवाहिता सादरं तेन ।। ३३।। गुजराती अर्थ विद्याधर श्रेष्ठ एवा हरिचन्द्र राजार पोतानी पुत्री बन्धुसुन्दरी खूब प्रेम पूर्वक तेने आपी. अने ते पण आदरपूर्वक तेणीनी साधे परण्यो । हिन्दी अनुवाद विद्याधर में उत्तम हरिचन्द्र राजा ने भानुगति को अपनी पुत्री बन्धुसुंदरी अति प्रेमपूर्वक दी और भानुगति ने भी आदरपूर्वक उसके साथ विवाह किया । गाहा तीइ सुतणूइ समयं अणुहवमाणो उ गरुय-पीईए । पंच-पयारे विसए भाणुगई भुजई रज्जं ।।३४।। संस्कृत छाया तया सुतन्व्या समकमनुभवन् तु गुरुप्रीत्या । प्रश्चप्रकारान् विषयान् भानुगति (नक्ति राज्यम् ।। ३४।। 232
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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