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गाहा
ता बंधुसुंदरीए तहत्ति बहु मत्रियं तयं वयणं ।
गरुय-सहोयर-सब्भाव-नेह-अक्खित्त-चित्ताए ।।३०।। संस्कृत छाया
तदा बन्धुसुन्दर्या तथेति बहुमतं तद्-वचनम् ।
गुरुकसहोदर-सद्भाव-स्नेहाक्षिप्त-चित्तया ।। ३० ।। गुजराती अर्थ
त्यारे भाईना प्रति अत्यंत सद्भाव अने स्नेहथी आकृष्ट चित्तवाळी बन्धुसुन्दरीस "साहं" ए प्रमाणे तेना वचननुं मान राख्यु. हिन्दी अनुवाद
तब भाई के प्रति अत्यंत सद्भाव और स्नेह से आकृष्ट चित्तवाली बन्धुसुन्दरी ने “अच्छा'' इस प्रकार बहुमान से वचन स्वीकार लिया ।
चमरचञ्चा नगर वर्णन गाहा
एत्तो य अत्थि नयरं वेयड्ढे उत्तराए सेढीए ।
सव्वोउय- तरु-वण-संड- मंडियं चमरचंचंति ।।३१।। संस्कृत छाया
इतश्चास्ति नगरं वैताळ्ये उत्तरस्यां श्रेण्याम् ।
सर्वर्तुकतरुवनषण्डमण्डितं चमरचञ्चामिति ।।३१।। गुजराती अर्थ
अहीं वैताढ्य पर्वत पर उत्तर श्रेणीमा सर्व ऋतुना वृक्षवाळा वनखण्डोथी शोधतुं चरमचंचा नामर्नु नगर हतुं. हिन्दी अनुवाद
इस तरफ वैताढ्य पर्वत पर उत्तमश्रेणी में सर्व ऋतु के वृक्षों से युक्त वनखण्डों से मनोहर चमरचंचा नाम का नगर था । गाहा
तत्थ य खयर-नरीसो भाणुगई नाम अतुल्ल-सामत्थो । निज्जिय-अणंग-रूवो कामिणि-जण-माणसाणंदो ।।३२।।
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