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________________ हिन्दी अनुवाद फिर किसी समय परस्पर स्नेह भरे चित्तवाले और एकान्त में रहे उन दोनों .' का परस्पर वार्तालाप हुआ। गाहा भणियं पहंजणेणं पढमं तुह होइ किंचि जमवच्चं । धूया वा तणओ वा तं मह तणयस्स दायव्वं ।। २८।। संस्कृत छाया भणितं प्रभञ्जनेन प्रथमं ते भवति किञ्चिद् यदपत्यम् । दुहिता वा तनयो वा तन्मे तनयाय दातव्यम् ।।२८।। गुजराती अर्थ प्रभंजने कह्यु - (हे बहेन) जो तने पहेलुं चाळक थाय, पुत्र के पुत्री, ते मारा चाळकने आप. हिन्दी अनुवाद प्रभंजन ने कहा (हे बहन), तुझे प्रथम पुत्र या पुत्री जो भी बालक हो उसे मेरे बालक को देना । गाहा अविय। तुज्झ महं वा जं होज्ज किंपि इह पढमगं तु डिंभरु (रू) यं। अवरोप्पर-संबंधो ताणं अम्हेहिं कायव्यो ।।२९।। संस्कृत छाया अपि च। तव मम वा यद् भवेत् किमपीह प्रथमं तु डिम्मरूपम् । परस्पर-सम्बन्यस्तयो-रावाभ्यां कर्तव्यः ।।२९।। गुजराती अर्थ अने वळी, तारे के मारे जे पहेलुं सुन्दर बाळक थाय ते चेनो परस्पर सम्बन्ध आपणे करवो । हिन्दी अनुवाद अथवा तुझे या मुझे जो भी पहला बालक होगा उन दोनों का हम परस्पर संबंध करेंगे। 230
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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