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________________ हिन्दी अनुवाद सर्वविद्यास्वतन्त्र विद्याधर समूह से सेवित चरणकमलवाले, कमलपत्र जैसे जयनोंवाले, नयन और मन को आनंद देनेवाले, शूरवीर तेजस्विओं के तेज पुंज को नष्ट करनेवाले, सूर्य जैसे अखंडित प्रतापवाले अहंकारी शत्रुरूपी हाथियों को भगाने के लिए सिंह शावक जैसे विद्याधरों के राजा, सभी आकाशगामियों में सुप्रसिद्ध और चारों तरफ फैली निर्मल कीर्ति वाले हरिचन्द्र नाम के राजा थे । गाहा सरसिरुह-सरिस-वयणा नीलुप्पल-दल-विसाल-वर- नयणा । कमलोयर-रुइ-देहा रयणवई नाम से महिला ।।२३।। संस्कृत छाया सरसिरुह-सदृश-वदना नीलोत्पलदल-विशालवरनयना । कमलोदर-रुचि-देहा रत्नवती नाम तस्य महिला ।।२३।। गुजराती अर्थ कमल जेवा मुखवाळी, नीलकमलना पर्ण जेवी श्रेष्ठ विशाळ नयनवाळी. कमलोदरनी कांति जेवा देहवाळी रत्नवती नामनी तेनी राणी हती ! हिन्दी अनुवाद कमल जैसे मुखवाली नीलकमल के पर्ण जैसी विशाल नेत्रोंवाली कमल कर्णिका की कांति जैसे देहवाली, रत्नवती नाम की उसकी रानी थी । गाहा सयलोरोह- पहाणाए तीए पाण-प्पियाए देवीए । समयं ति-वग्ग- सारं विसय-सुहं अणुहवंतस्स ।। २४।। देव-कुमार-सरिच्छो अह तीए दारओ समुप्पनो । उचिय-समए य तेहिं पहंजणो नाम से विहियं ।। २५।। संस्कृत छाया सकलावरोध-प्रधानया तया प्राणप्रियया देव्या । समकं त्रिवर्गसारं विषयसुख-मनुभवतः ।।२४।। प्रभञ्जन अने बन्धुसुन्दरी देवकुमार-सदक्षोऽथ तस्या दारकः समुत्पन्नः । उचितसमये च ताभ्यां प्रभञ्जनो नाम तस्य विहितम् ।। २५।। 228
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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