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________________ हिन्दी अनुवाद अनेक विद्याधर नगरों के समूह से शोभित इसी पर्वत पर उत्तम श्रेणी में अच्छी तरह से तिराहों और चौराहों से विभाजित विविध उद्यानों से रमणीय सुविशाल किलों से युक्त, इन्द्रपुरी जैसा सुरनन्दन नाम का श्रेष्ठ नगर है ! गाहा - हरिश्चन्द्र राजा साहीण-सयल - विज्जो विज्जाहर-नियर- पणय-पय- कमलो । कमल-दल- तुल्ल- नयणो नयण- - मणाणंदणो सूरो ।। २० ।। सूरोव्व निहय- तेयस्सि - तेय - निवहो अखंडिय - पयावो । पिट्ठ- वइरि - वारण- निवारणे सीह- पोय - समो ।। २१ ।। विज्जाहराण राया सुपसिद्धो चेव सव्व- खयराण | पसरत - विमलकित्ती आसी हरिचंद- नामोति ।। २२ ।। । । तिस्भिः कुलकम् । । संस्कृत छाया - (हरिश्चन्द्र राजा ) स्वाधीन - सकल-1 - विद्यो विद्याधरनिकरप्रणत- पदकमलः । कमलदल - तुल्य- नयनो नयनमन आनन्दनः शूरः ।। २० ।। सूर इव निहततेजस्वि - तेजोनिवहोऽ खण्डितप्रतापः । दर्पिष्ठ- वैरी- वारण- निवारणे सिंहपोतसमः ।। २१ । । विद्याधराणां राजा सुप्रसिद्धश्चैव सर्व खचराणाम् । प्रसरद्- विमल - कीर्ति - रासीद्धरिचन्द्र - नामा इति ।। २२ ।। R 227 ।। त्रिभिः कुलकम् ।। गुजराती अर्थ सकळ विद्याओ जेमने स्वाधीन छे. विद्याधरनो समूह जेमना चरणकमलमां नमेलो छे. कमळना पांदडां जेवी जेमनी आंखो छे. नयन अने मनने आनंद आपनार शूरवीर, तेजवाळा ओना तेजना समुदाय ने जेमणे हणी नांख्यो छे तेवा सूर्य जेवा अखंडित प्रतापवाळा अहंकारी वैरीरूपी हाथी ओने दूर करवा माटे सिंहना बच्चा समान विद्याधरोनो राजा अने सर्व विद्याधरोमां सुप्रसिद्ध अने फैलायेली निर्मळ कीर्तिवाळो एवो हरिचन्द्र नामनो राजा हतो.
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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