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________________ गाहा अन्नं च । को सि तुमं ? कस्स कओ केण व कज्जेण " एयमायरियं ? | कीस ससोगो सुंदर ! अविरल - थूलंसुए (णि) मुयसि ? ।। ३ ।। संस्कृत छाया अन्यच्च कोऽसि त्वं ? कस्य कुतः केन वा कार्येण एतदाचरितम् ? कस्मात् सशोकः सुन्दर ! अविरल स्थूलाश्रूणि मुञ्चसि ? ।। ३ ।। गुजराती अर्थ अने वळी तुं कोण छे ? कोनो पुत्र छे ? क्यांथी आव्यो छे ? अने क्या कारण थी आवु आचरण कर्यु ? तथा हे सुन्दर ! शा कारण थी शोकसहित निरंतर मोटा आंसुओ वहावे छे ? हिन्दी अनुवाद तुम कौन हो किसके पुत्र हो ? कहाँ से आये हो और किस हेतु ऐसा कृत्य किया? हे सुन्दर ! किस हेतु से शोकाकुल हो निरन्तर अश्रु बूंदे टपका रहे हो ? गाहा दीहं नीससिऊणं तत्तो य मए तया इमं भणियं । किं कहियाए इमाए विहलाए सुयणु ! वत्ताए ? ।।४।। संस्कृत छाया दीर्घ निःश्वस्य ततश्च मया तदेदं भणितम् । " किं कथितयाऽनया विफलया सुतनो! वार्तया ||४|| गुजराती अर्थ - अने त्यारपछी उंडो नीसासो मूकीने में तेने त्यारे आ प्रमाणे कहूं. हे ! सुतनु ! आवी निष्फल वातो कहेवाथी शुं (फायदो छे ?) हिन्दी अनुवाद और बाद में लंबा निःश्वास छोड़कर मैंने उसे तब इस प्रकार कहा, ऐसी निष्फल बात कहने से क्या (लाभ ? ) 220 हे 'सुतनु !
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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