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गाहा
कहिएण जेण लगभइ कोवि गुणो, तमिह साहिउं जुत्तं ।
अन्नह पुण तुस-खंडण-सरिसेणं किं नु कहिएणं ? ।।५।। संस्कृत छाया
कथितेन येन लभ्यते कोऽपि गुणस्तदिह कथयितुं युक्तम् ।
अन्यथा पुनस्तुष-खण्डन-सदृशेन किं नु कथितेन ? ।।५।। गुजराती अर्थ
जे कहेवाथी कोइपण लाग्य प्राप्त थाय तेने कहेवू योग्य छे । नहीं तो फोतराने खाण्डवा समान आ कहेवाथी शुं फायदो ?! हिन्दी अनुवाद
जिसे कहने से लाभ प्राप्त होता हो, उसे कहना उचित है वरना भूसी को कूटने जैसी बातों से क्या फायदा ?
गाहा
अवि य वोलीण-पाय-कज्जे साहारो कोवि नत्थि कहिएण ।
गय-पाणियम्मि पालीइ बंधणं कं गुणं लहउ? ।।६।। संस्कृत छाया
अपि च गत-प्रायः-कार्य स्वाधारः कोऽपि नास्ति कथितेन ।
गतपानीये पाल्या बन्धनं कं गुणं लभेत?।।६।। गुजराती अर्थ
अने वळी जे कार्य वीती गयुं होय तेने कहेवाथी कोई सहारो आपनार यतुं नथी, जेम पाणी वही गयुं होय त्यारे पाळ बांधवाथी शुं फायदो थाय? हिन्दी अनुवाद
जो कार्य प्रायः पूर्ण हो गया है उसे कहने से कोई भी सहारा देनेवाला नहीं होता, जैसे पानी निकल जाने पर बाँध बांधने से क्या लाभ ? गाहा
दुस्सह-दुक्ख-समुच्छेयणम्मि उज्जुत्त-माणसस्स तुमे । कीस कयं मह विग्धं पाण-च्चायं करेंतस्स? ।।७।।
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