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________________ श्रमण, वर्ष ५८, अंक १ जनवरी-मार्च २००७ जैन ज्ञानमीमांसा : प्रमाणनयतत्त्वालोक के विशेष सन्दर्भ में ___ डॉ० राघवेन्द्र पाण्डेय* भारतीय परम्परा में ज्ञानमीमांसा का उद्भव एवं विकास तत्त्वचिन्तन की पद्धति के रूप में हआ है। अत: भारतीय मनीषियों ने अलग से ज्ञान की परिभाषा देने का कोई प्रयास नहीं किया है। वस्तुत: भारतीय ज्ञानमीमांसा 'तत्त्वमीमांसा का साधन' है। अतएव प्रत्येक भारतीय दार्शनिक सम्प्रदाय ने अपनी तत्त्वमीमांसीय गवेषणाओं के अनुरूप ही अपनी ज्ञानमीमांसीय विवेचनाएँ प्रस्तुत की हैं। तत्त्वमीमांसा से अवियोज्य होने के कारण भारतीय मनीषी ज्ञान का विश्लेषण तत्त्वमीमांसा से परे मात्र एक भाषायी तथ्य के रूप में नहीं करते, बल्कि ज्ञान को विषय के प्रकाशक के रूप में भी स्वीकार करते हैं। शब्दान्तर से ज्ञान के विषय में भारतीय दार्शनिकों की एक सामान्य धारणा यह है कि ज्ञान वह है जो विषय को प्रकाशित करता है। विषय की यह प्रकाशना ज्ञाता की चेतना में होती है। भारतीय दर्शन में तत्त्वमीमांसा के साथ-साथ ज्ञानमीमांसा का भी निरूपण होता है। ज्ञानमीमांसा में अनेक पहलओं पर मनोविज्ञान और तर्कशास्त्र भी समावेशित रहता है। इसीलिए भारतीय दर्शन में ज्ञानमीमांसा को ज्ञान-विचार या प्रमाण-विचार भी कहा गया है। पाश्चात्य परम्परा में ज्ञानमीमांसा पर विचार करते हुए कहा गया है कि ज्ञानमीमांसा दर्शन की वह शाखा है जिसमें ज्ञान के स्वरूप, उसके प्रामाण्य, उत्पत्ति, सीमा, सम्भाव्यता तथा ज्ञाता और क्षेत्र के सम्बन्ध आदि पर विचार किया जाता है। यहाँ ज्ञान के सम्बन्ध में अनेक सिद्धान्त प्रचलित हैं - तर्कबुद्धिवाद (Rationalism), इन्द्रियानुभववाद (Empiricism), प्रतिनिधानवाद (Representationism), संशयवाद (Scepticism), समीक्षावाद (Criticism), अज्ञेयवाद (Agnosticism), प्रत्ययवाद (Idealism), वास्तववाद (Realism), व्यावहारिकतावाद (Pragamatism)।' सम्पूर्ण जैन वाङ्मय, चाहे वह आगम युग में रचित हो अथवा दार्शनिक युग में, उस पर ज्ञानमीमांसा का प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित होता है। आगम युग दर्शन का आदिकाल है, उसमें भी ज्ञानमीमांसा का प्राधान्य स्पष्ट परिलक्षित होता है। अनेक * पूर्व शोध छात्र, दर्शन एवं धर्म विभाग, कला संकाय, का०हि०वि०वि०, वाराणसी
SR No.525060
Book TitleSramana 2007 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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