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________________ साहित्य सत्कार : १६३ विविधता और विश्व में शान्ति, स्वामीनारायण मतीय वेदान्त सिद्धान्त और भक्तिसाधना की विकसनप्रक्रिया - १ एवं २, ब्रह्म या ब्रह्माण्ड और मनुष्य के अस्तित्व की खोज, धर्म, दर्शन, विज्ञान और कला में रसदृष्टि का पक्ष आदि लेख, लेखकीय विशेषताओं से भरे पड़े हैं। अन्त में कहा जा सकता है कि धर्म के सुविज्ञ एवं जिज्ञासु पाठकों एवं शोधार्थियों कि लिए यह एक उत्तम कृति है । आशा है सुविज्ञ पाठक इसे पढ़कर अवश्य लाभान्वित होंगे। डॉ० राघवेन्द्र पाण्डेय ६. कार्यकारणभाव (विद्वत्परिचर्चा), प्रका० श्री वल्लभाचार्य ट्रस्ट, कंसारा बाजार, माण्डवी, कच्छ, गुजरात ३७०४६५, संस्करण प्रथम (वि०सं० २०६०), आकार - डिमाई, पृष्ठ- ६१४, मूल्य - १५०/ - प्रस्तुत ग्रन्थ 'प्रस्थानरत्नाकर' आधारित कार्यकारणभाव पर विद्वत् परिचर्चा का संकलन है। ‘प्रस्थानरत्नाकर' वाल्लभ वेदान्त दर्शन का प्रमुख ग्रन्थ है जिसमें गोस्वामी पुरुषोत्तमचरण जी ने अपनी विद्वत्ता का उत्कृष्ट परिचय दिया है। इसमें विभिन्न विद्वानों के २२ शोध-पत्रों को संकलित किया गया है। अन्त में परिशिष्ट के अन्तर्गत डॉ० बी०के० दलाई एवं डॉ० मीरा रस्तोगी का क्रमश: 'Jain Theory of Causation' एवं 'काश्मीर शिवाद्वयवाद में कारणता सिद्धान्त' शोध - 1 - पत्र का अंकन किया गया है। प्रथम शोध-पत्र प्रो० वशिष्ठ नारायण झा पठित The Vallabha theory of cause and effect relationship' है जिसमें प्रो० झा ने वल्लभ दर्शन के कारणता सिद्धान्त की विवेचना की है, जिस पर विद्वानों ने उत्कृष्ट चर्चा की है। अजातिवाद के अन्तर्गत प्रो० यज्ञेश्वर शास्त्री एवं डॉ० राधेश्यामधर द्विवेदी का लेख है। दोनों ही लेख सारगर्भित हैं। प्रो० शास्त्री ने गौड़पाद का अजातिवाद और वल्लभाचार्य का अविकृत परिणामवाद पर अध्ययन प्रस्तुत किया है और डॉ० द्विवेदी ने ह्यूम के कार्यकारण सिद्धान्त के साथ भारतीय चिन्तन परम्परा में वर्णित कार्यकारण सिद्धान्त के साम्य और वैषम्य को दिखाने का प्रयास किया है। प्रथम लेख अँग्रेजी में है और द्वितीय संस्कृत में । इसी प्रकार संघातवाद के अन्तर्गत डॉ० रामचन्द्र माँझी एवं डॉ० अम्बिकादत्त शर्मा, विवर्तवाद के अन्तर्गत डॉ० पारसनाथ द्विवेदी एवं डॉ० विन्देश्वरी प्रसाद मिश्र का आलेख है। आरम्भवाद शीर्षक के अन्तर्गत डॉ० बलिराम शुक्ल, डॉ० सच्चिदानन्द मिश्र, डॉ० चन्द्रशेखर शुक्ल, डॉ० किशोर नाथ झा, डॉ० अरुण मिश्र के शोध-पत्रों का अंकन हुआ है । सर्व सिद्धान्त-संग्रहवाद के अन्तर्गत प्रो० सिद्धेश्वर भट्ट एवं डॉ० राम किशोर त्रिपाठी के शोध-पत्र एवं परिणामवाद १ एवं २ के अन्तर्गत डॉ० उज्ज्वला पानसे झा, प्रो० एन०एस०रा० ताताचार्य, डॉ०
SR No.525060
Book TitleSramana 2007 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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