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________________ जैन 'हिन्दू' ही हैं, लेकिन किस अर्थ में? : ३७ कहना गलत है। जो हिन्दू महासभा या हिंदू संघटक वैदिक, जैन आदि सभा हिन्दू भाइयों को एकत्रित करने के लिए प्रयत्न करते हैं, उनके भाषणों में और लेखों में यह हास्यास्पद, परन्तु अत्यन्त हानिकारक ‘वदतोव्याघात' हमेशा होता है। इच्छा मुड़ गयी, तो जीभ मुड़ती नहीं। बुद्ध, सिक्ख, जैन ये हिन्दू ही हैंयह सिद्ध करने वाले लेख में 'जैन और हिन्दू', जैनों की संख्या इतनी है और हिन्दू की इतनी'; 'सिक्खों के नायकों को हिन्दू के नायकों से मतैक्य करना चाहिए' ऐसे वाक्य बिना समझे उपयोग में लाए जाते हैं। इससे 'जो वैदिक, या सनातनी वही हिन्दू'- ऐसा कुअर्थ उस वाक्य से निकलता है जबकि 'हिन्दू' यह शब्द वैदिक, जैन, सिक्ख आदि अपने यच्च यावत् हिन्दू भाइयों को समाने वाला है- यह कुख्यात विधान लूला पड़ जाता है। अतः अपने को कभी भी 'हिन्दू और जैन, हिन्दू और सिक्ख, हिन्दू और आर्यसमाजी'- इस तरह अत्यन्त आत्मघातक प्रयोग नहीं करना चाहिए। वैदिक और सिक्ख, वैदिक और जैन, सनातनी और आर्यसमाजी, ऐसे शुद्ध प्रयोग करने चाहिए तथा 'हिन्दू' शब्द का अपने अखिल हिन्दू राष्ट्र के उल्लेख के लिए उपयोग में लाना चाहिए। विनायक दामोदर सावरकर के उपर्युक्त लेख से अधिक अंशों में सहमति रखते हुए जैन तेरापन्थ समाज के प्रतिष्ठित आचार्य महाप्रज्ञ ने अभी हाल ही के पंजाब (कोटकपुरा) में दिये एक सम्बोधन में कहा कि धर्म के आधार पर बहुसंख्यक एवं अल्पसंख्यक भेद करना सर्वथा अनुचित है। आपका मत है अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का विभाग धर्म के आधार पर किया गया है। यह बहुत ही विवादास्पद है। धर्मों का वर्गीकरण समीचीन नहीं है इसलिए इस विभाजन का आधार अपुष्ट ही नहीं अपितु पुनश्चिन्तनीय भी है। भारतीय संस्कृति में धर्म को दो प्रमुख धाराएँ रही हैं१. ब्राह्मण परम्परा, ब्राह्मण धर्म। २. श्रमण परम्परा, श्रमण धर्म। ब्राह्मण परम्परा में अनेक सम्प्रदाय रहे हैं। ढाई हजार वर्ष पहले श्रमणों के भी अनेक सम्प्रदाय थे। वर्तमान में श्रमणों के दो सम्प्रदाय विद्यमान हैं- १. जैन धर्म और २. बौद्ध धर्म। ब्राह्मण परम्परा के अनेक धर्मों का उल्लेख किया जा सकता है- सनातन धर्म, वैष्णव धर्म, शैव धर्म, शाक्त धर्म आदि। स्वतंत्र धर्म की व्यवस्था के लिए इन दो तथ्यों पर विमर्श किया जाता है१. धर्म का प्रवर्तक कौन? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525059
Book TitleSramana 2006 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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