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________________ १४२ : श्रमण, वर्ष ५७, अंक ३-४ / जुलाई-दिसम्बर २००६ Sam विक्रम संवत् १०६७ वैसाख शुक्लपक्ष की नवमी (१०१०ई.) के दिन सैकरिक्य में श्री वज्राम के राज्य में शांतिविमलाचार्य की बस्ती में संचामर और भल्लिक्य गोत्र वाले सेठों के द्वारा श्री सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करवायी गयी, और आहिल ने भी)।११ स्मरणीय है कि श्रुतदेवी की उपासना अत्यन्त विशाल प्रकार के जैन मंदिरों में होती थी।१२ सारत: यह मूर्ति सीकरी के बड़े जैन मन्दिर में उपासना के निमित्त प्रतिष्ठित थी। __ ऐसा प्रतीत होता है कि आहिल उस शिल्पी का नाम है जिसने मूर्ति उत्कीर्ण की थी। उसका भी योगदान इस मूर्ति की स्थापना में है। चूंकि मूर्तिकार ने अपना नाम बाद में जोड़ा है, इसलिए शेष लेख की अपेक्षा आहिल शब्द सुन्दर एवं बड़े अक्षरों में अंकित है। इस सन्दर्भ में ऐसे ही विचार अधिकांश विद्वानों के हैं।१३ अभिलेख की भाषा, व्याकरण एवं शाब्दिक दृष्टि से कमजोर है, और कई शब्द तो अपभ्रंश हैं। लेख में उल्लिखित 'सैकरिक्य' शब्द महाभारत१४ में इस स्थल के प्रयुक्त शब्द ‘सैक' से बहुत-कुछ मिलता है, साथ ही दोनों शब्द लगभग एक जैसे अभिप्राय से युक्त प्रतीत होते हैं। वास्तव में दोनों शब्द अपने-अपने कालान्तर्गत स्थान विशेष के लिए आरोपित किये गये होंगे। श्री वज्राम ग्वालियर का कच्छपघाट शासक वज्रदमन है जो लक्ष्मण का पुत्र था। महिपाल कालीन ग्वालियर अभिलेखानुसार राजा वज्रदमन ने ९७५-९५ ई. तक शासन किया था।१५ परन्तु आलोच्य अभिलेख इस ग्वालियर नरेश के शासनकाल को - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525059
Book TitleSramana 2006 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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