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________________ फतेहपुर सीकरी से प्राप्त श्रुतदेवी (जैन सरस्वती) की प्रतिमा : १४३ २०१० ई. तक विस्तारित करते हुए यह भी उद्घाटित करता है कि वज्रदमन के समय में कच्छपघाट वंश का आधिपत्य फतेहपुर सीकरी तक तो निश्चित रूप से स्थापित था। इस अद्वितीय मूर्ति के सौम्य-सौंदर्य को देखते हुए पुरातत्त्वविद् डॉ. धर्मवीर शर्मा का कथन है कि अब विश्व में फतेहपुर सीकरी को इस अद्वितीय मूर्ति के कारण जाना जायेगा। यदि विश्व में फतेहपुर सीकरी का नाम अमर रहेगा तो इस मूर्ति के कारण। विश्व के किसी भी जैन मन्दिर में इतनी सुन्दर जैन सरस्वती की मूर्ति नहीं है।१६ वास्तव में इतनी प्राचीन मूर्ति होते हुए भी इसका मनमोहक रूप देखते ही बनता है। कौन ऐसा कला-पारखी होगा जो इसकी अप्रियम सुन्दरता को देखकर दंग न रह जाये? निश्चित रूप से यह अनुपम कृति २०वीं सदी में प्राप्त महत्त्वपूर्ण पुरातात्त्विक उपलब्धियों में से एक है। स्पष्ट है कि प्राचीन काल में फतेहपुर सीकरी जैन धर्म, कला-संस्कृति का लब्धप्रतिष्ठित केन्द्र रहा होगा। सदर्भ १. शर्मा, डी.वी – 'एक्सकेवेसन एट बीरछबीली टीला, सीकरी', पृ. ५६ २. न्यूली डिस्कवर्ड इन्स्क्रप्शन्स फ्राम एक्सकेवेशन एट फतेहपुर सीकरी, आ.स.इ., आगरा सर्किल, पृ. ५ ३. वही-पृ. ५ ४. शर्मा, डी.वी. - ‘एक्सकेवेसन एट बीरछबीली टोला, सीकरी', पृ. ५६ ५. रिसेन्ट डिस्कवरीज एण्ड कन्जरवेसन ऑव मोनूमेण्ट्स, आ.स.इ., आगरा सर्किल, पृ. ३ ६. शर्मा, डी.वी. - 'एक्सकेवेसन एट बीरछबीली टीला, सीकरी', पृ. ५६-६२ न्यूली डिस्कवर्ड इन्स्क्रप्शन्स फ्राम एक्सकेवेशन एट फतेहपुर सीकरी, आ.स.इ., आगरा सर्किल, पृ. ७ ७. शर्मा, डी.वी. - ‘एक्सकेवेसन एट बीरछबीली टीला, सीकरी', पृ. ६०-६१ न्यूली डिस्कवर्ड इन्स्क्रप्शन्स फ्राम एक्सकेवेशन एट फतेहपुर सीकरी, आ.स.इ., आगरा सर्किल, पृ. ७ ८. शर्मा,डी.वी.- 'एक्सकेवेशन एट बीरछबीली टीला, सीकरी, पृ. ६१,प्लेट-६ ९. वही, पृ. ६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525059
Book TitleSramana 2006 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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