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________________ बौद्ध भिक्षु संघ का विकास और नियम : ३३ पूर्णिमा अथवा श्रामणी पूर्णिमा के दूसरे दिन से तीन महीने तक उनके लिये यात्रा का निषेध था और उन्हें एक आवास में रहना पड़ता था। वर्षावास के अन्त में संघ को सम्मिलित होकर अपने अपराध की आदेशना करना आवश्यक था। इसको 'प्रवारणा' कहा जाता है। यह एक प्रकार से वार्षिक परिशुद्धि है। वर्षान्त में ही उपासकों द्वारा भिक्षु संघ को दिये गये वस्रों से चीवर निर्माण कर भिक्षुओं को बाँटे जाते थे। इस प्रकार के चीवर को 'कठिन' कहा जाता है। इसके अतिरिक्त विनय में अनुशासन के लिये अनेक विशिष्ट कर्मों का विधान पाया जाता है। यदि कोई भिक्षु कलहप्रिय या विवादशील हो अथवा गृहस्थों से अधिक सम्पर्क में आये तो उसके तर्जनीय कर्म विहित हैं। यदि कोई भिक्षु शील के विषय में उदासीन हो अथवा बुद्ध धर्म एवं संघ की निन्दा करता हो तो वह भी तर्जनीय कर्म से दण्डनीय है। सम्पत्ति सभी भिक्षु अपरिग्रह का व्रत लिये होते थे अतएव भिक्षा से प्राप्त सामग्री पर संघ का मुख्य अधिकार था, किन्तु इस अधिकार का अनियंत्रित प्रयोग नहीं किया जाता था। भिक्षु के मरने पर उसकी सम्पत्ति का संघ ही वितरण करता था। अन्न आदि दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये संघ में विशेष भिक्षुओं को अधिकारी नियुक्त किया जाता था। इस प्रकार संघ ने बौद्ध धर्म के विकास में अत्यधिक सहयोग प्रदान किया जिससे बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार सुदूर देशों में सम्भव हुआ। संघ की संगठन शक्ति व नियमों का ही प्रभाव था कि बौद्ध धर्म में नागार्जुन, अरुण, वसुबन्धु, आर्यदेव, अश्वघोष जैसे धुरन्धर विद्वान एवं दीपंकर, बोधिधर्म, श्री प्रवृत्ति धर्म प्रचारक उत्पन्न हुये, जिन्होंने बुद्ध की विचारधारा एवं उनके धर्म को अमरत्व प्रदान करने में कोई कसर न छोड़ी। सन्दर्भ १. गोविन्द चन्द्र पाण्डे, बौद्ध धर्म के विकास का इतिहास, पृष्ठ-१३३। २. रमेश चन्द्र मजूमदार, प्राचीन भारत में संघटित जीवन, पृष्ठ-२७४। ३. चुल अस्सपुर सुत्त, मज्झिम निकाय, १/४/१०। ४. उन लोगों पर इन नियमों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा जो पहले बौद्ध धर्म में दीक्षित हो चुके थे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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