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________________ बौद्ध भिक्षु संघ का विकास और नियम : ३१ औपचारिक आज्ञा से प्रातिमोक्ष१२ का पाठ करता था।१३ पाठ करने वाले भिक्षु को अनेक ग्रन्थों में संघपिता, संघस्थविर, संघ परिणायक कहा गया है। प्रारम्भ में बौद्ध भिक्षुओं के लिये शील पाँच या दस प्रकार के माने गये थे। आगे चलकर प्रातिमोक्ष सूत्रों में इनका विस्तार किया गया। प्रातिमोक्ष सूत्र भिक्षुओं की परिशुद्धि के लिये रचे गये। इसीलिये शील निर्वाह में कमी होने पर भिक्षुओं की परिशुद्धि आवश्यक थी। उपोसथ के साथ प्रातिमोक्ष का भी विधान है। प्रातिमोक्ष के आठ विभाग हैं१ पाराजिक २ संघावशेष ३ अनियत ४ नैसर्गिक पातयन्तिक ५ पातयन्तिक ६ प्रतिदेशनीय ७ शैक्ष ८ अधिकरण शमथ प्रातिमोक्ष का प्रारम्भ निदान से होता है जिसमें उपोसथ के लिये एकत्र भिक्षुओं को सूचित किया जाता है कि जिस भिक्षु से कोई दोष हुआ हो वह । उसे प्रकट करे। प्रातिमोक्ष के प्रथम पाराजिक काण्ड में ऐसे चार पातकों का उल्लेख है जो भिक्षु को संघ में रहने के अयोग्य बना देते हैं- ब्रह्मचर्य, चोरी, मनुष्यवध एवं अलौकिक शक्ति का झूठा दावा। संघावेशष काण्ड में ऐसे तेरह अपराध परिगणित हैं जिनके लिये अपराधी को कुछ समय के लिये परिवास अथवा पृथक्करण का दण्ड दिया जाता है। किसी स्री के साथ एकान्त में बैठना जहाँ अनुचित संसर्ग अथवा सम्भाषण सम्भव है, और उस बात का किसी श्रद्धालु उपासिका का आलोच्य विषय बनना, ये अनियत धर्मों में संग्रहीत हैं। नैसर्गिक पातयन्तिक के अन्तर्गत तीस दोषों की चर्चा की गयी है।१४ ___ पातयन्तिक अथवा प्रायश्चित्तिक धर्मों की गणना में सम्प्रदाय भेद उपलब्ध होता है। पालि प्रातिमोक्ष में ९२ धर्मों का विवरण प्राप्त होता है। झूठ बोलना, चिढ़ाना, चुगली, स्त्री के साथ लेटना, चमत्कार की बातें करना, वृक्ष काटना, निन्दा करना आदि। प्रतिदेशनीय धर्म चार हैं, इनके करने पर भिक्षु को दूसरे भिक्षुओं के सामने अपना अपराध स्वीकार करना होता है एवं भविष्य में वैसा न करने का वचन देना होता है। अज्ञातिक भिक्षुणी के हाथ खाद्य ग्रहण करना, भिक्षु भोजन के समय किसी भिक्षुणी को परोसने में सहायता करना, निर्धन और श्रद्धालु उपासकों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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