SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६ : श्रमण, वर्ष ५७, अंक २ / अप्रैल-जून २००६ स्वरूप दिखाकर प्रकृति के निवृत्त हो जाने पर भी प्रकृति को फिर से प्रवृत्ति करना चाहिए। अतएव सम्पूर्ण कर्मों का क्षय होने पर पुरुष को ही मोक्ष होता है, यह मानना चाहिए। इस प्रकार सांख्य के अनेक दोषों को उजाग्रित करते हुए जैन दार्शनिक सांख्य-विकासवाद को असिद्ध बताते हैं। सन्दर्भ १. नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः। उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः।। गीता, २/१६. २. सांख्यप्रवचनभाष्य, २/६. ३. सत्त्वरजस्तमसां साम्यावस्था प्रकृतिः। सांख्यसूत्र, १/६१. - ४. सांख्यकारिका, २३; तर्करहस्यदीपिका, १२.. ५. सांख्यकारिका, २४-२५. ६. सांख्यकारिका, ३८. ७. सांख्यकारिका, ३२-३३. ८. सांख्यकारिका, ४६. मूलप्रकृतिरविकृतिर्महदाद्याः प्रकृतिविकृतयः सप्त। __ षोडशकस्तु विकारो न प्रकृतिर्न विकृति: पुरुषः।। सांख्यकारिका, ३. १०. चिदर्थशून्या च जडा च बुद्धिः शब्दादितन्मात्रजमम्बरादि। न बन्धमोक्षौ पुरुषस्य चेति कियज्जडैर्न ग्रथितं विरोधि।। अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिशिकास्तवनटीका, श्लोक १५, ११. "चिच्छक्तिश्च विषयपरिच्छेदशून्या चेति परस्परविरुद्धं वचः।" स्याद्वादमञ्जरी, पृष्ठ ९८. १२. “जड़ा च बुद्धिः इत्यपि विरुद्धम्।" स्यावादमजरी, पृष्ठी ९८. १३. “अतएव चाहंकारोऽपि न बुद्धिजन्यो युज्यते, तस्याभिमानात्मकत्वेनात्म धर्मस्याचेतनादुत्पादायोगात्।" स्याद्वादमञ्जरी, पृष्ठ ९९. "अम्बरादीनां च शब्दादितन्मात्रजत्वं प्रतीतिपराहतत्वेनैव विहितोत्तरम्'। स्याद्वादमञ्जरी, पृष्ठ ९९. १५. “वागादीनां चेन्द्रियत्वमेव न युज्यते।" स्याद्वादमञ्जरी, पृष्ठ ९९. १६. “यच्चोक्तं 'नानाश्रयायाः प्रकृतेरेव बन्धमोक्षौ संसारश्च न पुरुषस्य' इति। तदप्यसारम्।" स्याद्वादमञ्जरी, पृष्ठ ९९. १७. “नर्तकीदृष्टान्तस्तु स्वेष्टाविघातकारी।" स्याद्वादमञ्जरी, पृष्ठ १००. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy