SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 221
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी अनुवाद :- हाथ-पैरादि अंग जकड़ गये, उदर वायु से भर गया, इन्द्रियाँ क्षीण होने लगी तथा वेदना मन्द हो गई। गाहा : भो सुप्पइट्ठ! एवं वियणा-परिमंद-इंदिएण मए। एत्यंतरम्मि निसुओ सहो अपणट्ठ-चित्तेण।। २४०।। संस्कृत छाया : भो सुप्रतिष्ठ! एवं वेदना-परिमन्देन्द्रियेण मया । अत्रान्तरे निःशुतः शब्दो अप्रणष्टचित्तेन ।।२४०।। गुजराती अर्थ :- हे सुप्रतिष्ठ! आ प्रमाणे वेदनाथी इन्द्रियो नो व्यापार मंद थयो। तेटलीवारमा कंइक चेतनावाळा मारा बड़े शब्द संभळायो। हिन्दी अनुवाद :- हे सुप्रतिष्ठ! इस प्रकार वेदना से इन्द्रियों का व्यापार मंद हो गया, उतने क्षणों में किंचित् चेतनावान् मेरे द्वारा शब्द सुने गये। गाहा : मा साहस मा साहसमेयं काउरिस-जण-समाइण्णं। आयरिय देव-दुल्लह-निय-रूवं भद्द! नासेसु ।। २४१।। संस्कृत छाया : मा साहस मा साहस-मेतत् कापुरुषजनसमाचीर्णम् । आचर्य देवदुर्लभ-निजरूपं हे भद्र! नाशय ।।२४१।। गुजराती अर्थ :- हे भद्र! साहस न कर, कायर पुरुषने योग्य एवु तुं साहसिक आचरण करीने देवदुर्लभ एवा (पोताना रूपनो) मनुष्यत्व नो नाश न कर। हिन्दी अनुवाद :- हे भद्र! तूं साहस मत कर कायरजन की तरह ऐसा साहस करके देवदुर्लभ ऐसे मनुष्यत्व का नाश मत कर। गाहा : पाश छेद एत्थंतरम्मि केणवि लंबतं उक्खिवित्तु मह देह । लहु च्छिंदिऊण पासं विहिओ मिउ-सीयलो स्वणो ।। २४२।। संस्कृत छाया : अत्रान्तरे केनापि लम्बमानमुत्क्षिप्य मम देहम् । लघु छिन्दित्वा पाशं विहितो मृदुशीतलः पवनः।।२४२।। गुजराती अर्थ : एटलामा कोइक पुरुष वृक्षनी शारसाए लटकता मारा देहना पाशने भेदीने, नीचे उतारीने कोमळ शीतल पवज नाखवा लाग्यो। 215 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy