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हिन्दी अनुवाद :- और भी, केवली भगवंत की वाणी, आकाशवाणी, तथा स्वप्न हे देव! यह सब आशा के बन्धन की तरह निष्फल हो गये। गाहा :
एवं भणिऊण मए मुक्को अप्या अहो- मुहो झत्ति।
ताहे गाढीभूए पासम्मि सरीर- भारेण ।। २३७।। संस्कृत छाया :
एवं भणित्वा मया मुक्तो आत्मा अधोमुखो झटिति।
तदा गाढीभूते पाशे शरीरभारेण।।२३७।। गुजराती अर्थ :- आ प्रमाणे कहिने मे जल्दीथी शीरने अधोमुख कर्यु व्यारे शरीरना भारथी गलानी अंदर रहेलो पाश सज्जड़ थई गयो। हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार कहकर मैंने जल्दी से शरीर अधोमुख किया, तब शरीर के भार से गले में पाश मजबूत हो गया। गाहा :
रुद्धं गलयं आकुंचियाओ धमणीओ पसरिया वियणा।
भग्गं लोयण-जुयलं रुद्धो पवणस्स संचारो ।। २३८।। संस्कृत छाया :
रुद्धं गलकमाकुञ्चिता धमनयः प्रसृता वेदना।।
भग्नं लोचनयुगलं रुद्धः पवनस्य सञ्चारः।।२३८।। गुजराती अर्थ :- कंठ रूंधाई गयो, नाडीओ खेंचावा लागी, वेदना वधवा लागी आंखो ना डोला बहार आवी गया। श्वासोच्छ्वास पण बंध थवा लाग्यो। हिन्दी अनुवाद :- कंठ रुद्ध हो गया, नाड़ियाँ खिंचने लगी, वेदना बढ़ गई, आँखे बाहर आ गईं, श्वासोच्छवास भी बंद हो गये। गाहा :
उव्वेल्लियमंगेहिं जायं उदरं च पवण-पडिहत्थं।
करणाइं घाइयाइं जाया अह वेयणा मंदा।। २३९।। संस्कृत छाया :
उद्वेलितमङ्गैर्जातमुदरं च पवनपूर्णम्।
करणानि घातितानि जाताऽथ वेदना मंदा ||२३९।। गुजराती अर्थ :- (हाथ-पग) आदि अंगो जकडाइ गया, उदर पण वायुथी भराई गयु, इन्द्रियो क्षीण थवा लागी, वेदना क्षीण थवा लागी।
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