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________________ हिन्दी अनुवाद :- अत: कनकमाला के झूलने से पवित्र बने हुए उसी वृक्ष की शाखा द्वारा गले में पाश बांधकर प्राणों का त्याग कर दूं। गाहा : एवं विचिंतिऊणं आरूढो तम्मि तरु-वरे अहयं । दाउं गलए पासं अह एवं भणिउमाढत्तो ।। २३४।। संस्कृत छाया : एवं विचिन्त्य आरुढस्तस्मिन् तरुवरेऽहम् । दत्वा गलके पाशमथैवं भणितुमारब्धः।।२३४।। गुजराती अर्थ :- आम विचारीने ते वृक्ष ऊपर हुं चढ्यो अने डोकमां पाश बांधीने आ प्रमाणे बोलवा माटे प्रारंभ कर्यो। हिन्दी अनुवाद :- ऐसा सोचकर उस वृक्ष पर मैं आरूढ़ हुआ, और गले में पाश बांधकर इस प्रकार कहने लगा। गाहा : रे दिव्व! अन्न-जम्मे दुल्लह-लंभम्मि माणसे नेहं । मा मह करिज्ज एसा हु पत्थणा तुह मए विहिया ।। २३५।। संस्कृत छाया : रे दैव! अन्य-जन्मनि दुर्लभलब्धे मानुष्ये स्नेहम्। मा मम कुर्याद् एषा खलु प्रार्थना तव मया विहिता।।२३५।। गुजराती अर्थ :- हे दैव! अन्य जन्ममां दुर्लभ प्राप्त मनुष्य ऊपर मारो स्नेह कराववो नही, आ मारी तने प्रार्थना छ। हिन्दी अनुवाद :- हे दैव! अन्य जन्म में दुर्लभ प्राप्त मनुष्य पर मुझे स्नेह मत कराना, यही मेरी प्रार्थना है। गाहा : अन्नं च केवलिणो तं वयणं, सा वाया देवियावि, तं सुविणं। आसा-निबंधणं मज्झ दिव्व! सव्वं कयं अलियं ।। २३६।। संस्कृत छाया :- अन्यं च केवलिनस्तद्वचनं सा वाग् दैविकापि तत्स्वप्नम्। आशानिबन्धनं मम हे दैव! सर्वं कृतमलीकम् ||२३६।। गुजराती अर्थ :- अने वळी केवली भगवंतना ते वचन, ते देववाणी, ते स्वप्न, आ बधु ज हे दैव! आशाना पाशथी बंघायेल मारू फोगट थयु। 213 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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