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हिन्दी अनुवाद :- नभोवाहन राजकुमार कनकमाला के साथ विवाह करने के लिए आया और क्रम से पंचमी तिथि भी आ गई। गाहा :
कुविकल्प तत्तोऽवरह-समए मज्झ विगप्पो मणम्मि उप्पन्नो।
अव्वो! किं तं अलियं होही इह देवया- वयणं? ।। २२२।। संस्कृत छाया :
ततोऽपराह-समये मम विकल्पो मनस्युत्पन्नः ।
अहो! किं तदलीकं भविष्यति इह देवतावचनम्? ||२२२।। गुजराती अर्थ :- त्यार पछी बपोरना समये मारा मनमां विकल्प उत्पन्न थयो।अरे! शुं अहीं ते देव वाणी पण असत्य थशे? हिन्दी अनुवाद :- अत: मध्याह्न के समय में मेरे मन में विकल्प उत्पन्न हुआ, अरे! क्या तो देववाणी भी अशक्य होगी!। गाहा :___ अहव न दीसइ किंचिवि अणुरूवं तस्स तेण मन्नामि ।
सोमलया-वज्जरियं सव्वमलीगं हि संजायं ।। २२३।। संस्कृत छाया :
अथवा न दृश्यते किञ्चिदप्यनुरूपं तस्य तेन मन्ये ।
सोमलता-व्याहृतं सर्वमलीकं खलु सजातम् ।।२२३।। गुजराती अर्थ :- अथवा तेना कथन प्रमाणे अहीं कांई पण अनुरूप देखातु नथी तेथी हुं मानुं छु के सोमलता ए कहेलु बधु ज मिथ्या थयु छे। हिन्दी अनुवाद :- अथवा उनके कथनानुसार यहां कुछ भी अनुरूप नहीं दिखाई देता है। अतः मैं मानता हूँ कि सोमलता ने कहा हुआ सभी कुछ मिथ्या हुवा है। गाहा :
एमाइ-बहु-विगप्पं चिंतेतो रणरणेण गहिओ हं।
कत्थवि घिइमलहंतो नीहरिओ ताओ नयराओ।। २२४।। संस्कृत छाया :एवमादि-बहुविकल्पं चिन्तयन् रणरणेन (उद्वेगेन) ग्रहीतोऽहम् । कुत्रापि धृतिमलभमानो निस्सृतस्ततो नगरात् ।।२२४।। गुजराती अर्थ :- इत्यादि घणा विकल्पोने करतो उद्विग्न थयो अने क्यांय पण धीरज नही प्राप्त करतो। ते नगरमाथी हुं बहार नीकळी गयो।
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