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________________ हिन्दी अनुवाद :- यह सुनकर पुनः भानुवेग ने कहा, इस लोक में यदि भाग्य अनुकूल हो तो कोई भी दुर्घटना न हो, ऐसा मैं मानता हूँ। गाहा : भो सुप्पइट्ठ! एवं पइदियहं तक्कहा-विणोएण। तँप्पावण-आसाए वोलीणा वासरा कइवि।। २१९।। संस्कृत छाया : भो सुप्रतिष्ठ! एवं प्रतिदिवसं तत् - कथाविनोदेन। तत्प्रापण - आशायां व्यतीता वासराः कत्यपि।।२१९।। गुजराती अर्थ : हे सुप्रतिष्ठ ! आ प्रमाणे रोज तेनी कथा करवाना आनन्द वड़े तेने प्राप्त करवानी आशा वड़े केटलाक दिवसो पसार कर्या।। हिन्दी अनुवाद :- हे सुप्रतिष्ठ! इस प्रकार रोज कथा द्वारा आनन्दित होते हुए मिलन की आशा में ही कितने दिन बीत गये। लग्न महोत्सव दिन आसन्नमागयं अह लग्ग-दिणं ताहि खयर-परियरिओ। महया विच्छड्डेणं बंधु-जण-समनिओ तत्थ।। २२०।। संस्कृत छाया : आसन्नमागतमथ लग्नदिनं तदा खेचर-परिवृत्तः। महता विच्छर्देन बन्धुजनसमन्वितस्तत्र ।।२२०।। गुजराती अर्थ :- अनुक्रमे लग्नदिवस नजीक आवी गयो त्यारे खेचोथी परिवरेलो, बन्धुजनना समुदाय थी शोभतो मोटा महोत्सव साथे त्यांहिन्दी अनुवाद :- लग्नदिन भी नजदीक आ गया, तब खेचरों से परिवृत, बन्धुजनसमुदाय से शोभित बड़े महोत्सव के साथगाहा : वीवाहत्थं तीए नहवाहण-खयर-राय-अंगरुहो। संपत्तो अह पत्ता कमेण सा पंचमि-तिहीवि।। २२१।। संस्कृत छाया : विवाहार्थं तस्या नभोवाहन-खेचर-राजा-रुहः। सम्प्राप्तोऽथ प्राप्ता क्रमेण सा पञ्चमी-तिथ्यपि ।।२२१।। गुजराती अर्थ :- नभोवाहन राजकुमार ते कनकमालानी साथे परणवा माटे आव्यो अने क्रमे करीने ते पंचमी तिथि पण आवी गई। 208 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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